Tuesday 14 March 2017

शादी में नाचने वाले इसे पढ़ें -


शादी में नाचने वाले इसे पढ़ें -

जो इस्लाम अगर किसी सोने वाले को तक्लीफ़ होती हो तो बुलंद आवाज से कुरआन पढने की इजाज़त नही देता आज उसी इस्लाम काे मानने वाले कुछ बे ह़या, बे ग़ैरत, बे शर्म, शैतान के भाई शादियो मे पूरी रात डी.जे. बजाते है , त़रह़ त़रह़ के खुराफ़ात करते हैं और लोगो की नींदें खराब करते हैं और नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم की तालीम का मज़ाक़ उड़ाते हैं, ना मस्जिद का एह़तिराम करते हैं और ना पडोसियों की तक्लीफ़ का ख़्याल करते हैं! मेरे अ़ज़ीज़ों, हम शादियो में ऐसे बे मुरव्वती वाले काम करके कौनसा सवाब कमा रहे है

बे पर्दा औरतो के बीच ना महरम मर्दो को बिठाकर नाच कूद का प्रोग्राम रखकर कौनसी जन्नत के तलबगार हैं

क्या हमारे आक़ा صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم ने हमे यही तालीम दी थी

क्या हम मुसलमान अपने नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم के उन सज्दों को भूल गए जिनमें हमारे लिए बख्शिश की दुआ़ की जाती थी। क्या हम इतना गिर चुके हैं हम खुद को मुसलमान कहते हैं और इस्लाम को यूं बदनाम कर रहे हैं!

हमारे आक़ा صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم ने हमको अपना उम्मती कहा और हमारे लिए दुआ फरमाते रहे और हम अपने प्यारे नबी की सुन्नतों को पामाल कर रहे हैं,

हमने हमारे नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم के उन आंसूओं का भी ख़याल न किया जो सरकार ने हमारी बख़्शिश के लिए रातों में बहाए थे!

इस्लाम में औ़रत की आवाज़ का भी पर्दा हैं और नात ए पाक और यहां तक कि तिलावते कुरआन भी सिर्फ़ इतनी आवाज़ से पढ़ने का हुक्म हैं कि उनकी आवाज़ गैर मर्दों तक न पहुंचे,
मगर अफ़्सोस, आज वोही मुसलमान औ़रतें शादियों में ढ़ोलक पीट कर गाने गा रही हैं और उनकी आवाज़ें जो बाहर तक जा रही होती हैं उन्हे ग़ैर मर्द सुन रहे हैं!

खुद को मां फ़ातिमा की कनीज़ कहने वालियों,
हमारे नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم की प्यारी बेटी फ़ातिमतुज़्ज़हरा का तो एक बाल भी कभी ज़ाहिर नही हुआ, जो रोज़े महशर भी हूरों के साए में होगी और जिन्होनें अपने कफ़न का भी पर्दा रखने की वसिय्यत की, उस पाक दामन हस्ती की गुलामी का दम भरने वालियों,
तुम अपने आप से सवाल करो कि क्या तुम ख़ातूने जन्नत के नक़्श ए क़दम पर चल रही हो

हम सबको अपनी आख़िरत पर गौर करना चाहिए क्यूंकि क़ब्र की अन्धेरी घाटी में सबको उतरना हैं और वहां हमारी मदद करने वाला हमारा कोई सगा नही आने वाला, वहां अगर कोई हमारी मदद करेगा तो वो हमारे किए हुए नेक आमाल हैं और हम सबके आक़ा صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم हैं और वहां पर हमारे गुनाहों की वजह से अगर नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم ने ये कह दिया कि ये तो शादियों में नाचती थी, ढ़ोल पीटती थी, बे तकल्लुफ़ हो कर मर्दों तक अपनी आवाज़ पहुंचाती थी, बे पर्दा घूमती थी, मेरी दी हुई तालीम को पामाल करती थी, नाच गानों की मह़फ़िलों में मर्दों से खल्त मल्त होती थी"
तो सोचिए, वहां हमे बचाने के लिए कौन आएगा
वहां कौन हमारी फ़रियाद सुनेगा
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के एह़सान से हमको बख़्शवाने वाली एक ही ज़ात हैं और वो सरकारे दो आ़लम صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم हैं और अगर उन्होने ही मुंह फेर लिया तो हम कहां जाएंगे

फिर तो अ़ज़ाबे क़ब्र का सामना करना पड़ेगा, सांप और बिच्छूओं से पाला पड़ेगा, जिन अ़ज़ाब के फ़िरिश्तों की सूरत अगर दुनिया देख ले तो दहशत से मर जाए वो अ़ज़ाब के फ़िरिश्तें मुसल्लत किए जाएंगे! अल्लाहु अकबर
अब भी हमारे पास वक़्त हैं, अब भी कुछ नही बिगड़ा, अब भी तौबा का दरवाज़ा खुला हैं!

अगर खुद को अल्लाह عَزَّوَجَلَّ का बन्दा कहते हो, अगर नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم की मौहब्बत का दम भरते हो, खुद को नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم का गुलाम कहते हो, खुद को मुसलमान कहते हो तो आज बल्कि अभी से तौबा करो और ये अहद करो कि कभी भी शादियो में नाच गाना नही करोगे, डी.जे. वग़ैरा से दूर रहोगे!

जो गुनाह को गुनाह समझकर भी उस गुनाह से तौबा न करे और उस गुनाह पर अडा रहे वोही सबसे बड़ा बेवकूफ़ है .!!

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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in