Tuesday 28 March 2017

बांझपन-sterility ** ilaj **


बांझपन-sterility  ** ilaj **

औलाद का होना एक नेमत है और इस नेमत से कभी कभी इंसान महरुम रह जाता है,ऐसा नहीं है कि इसके लिए मर्द या औरत ज़िम्मेदार ही हों बल्कि ये सब रब की मर्ज़ी पर है जैसा कि आपने सुना ही होगा कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की 11 बीवियां थी मगर 2 को छोड़कर किसी से आपको औलाद नहीं हुई इसका ये मतलब नहीं कि माज़ अल्लाह आपकी बीवियों में कोई नुक्स था बल्कि वही रब की मर्ज़ी नहीं थी,और जब किसी को देना चाहता है तो इंसान का ख्याल भी वहां नहीं पहुंच सकता जैसा कि जब हज़रत इस्हाक़ अलैहिस्सलाम पैदा हुए तो हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की उम्र 120 साल और हज़रते सारा रज़ियल्लाहु तआला अंहा की उम्र 99 साल थी,कभी कभी बिना किसी कमी के भी इंसान औलाद से महरुम हो सकता है बेहतर है कि अल्लाह की हिकमत पर भरोसा रखें कि वो जो करता है अच्छा करता है बस इंसान अपनी कोशिश जारी रखे यानि दुआ करता रहे

औलाद ना होने की ये वजहें हो सकती है

! मर्द की मनी में बच्चे पैदा करने वाले कीड़े ही ना हों या हों मगर कमज़ोर हों ऐसा माज़ अल्लाह हाथ से मनी निकालने या किसी बीमारी के सबब भी हो सकता है

! औरत की बच्चे दानी का मुंह बंद हो या फिर उसके बच्चे दानी में भी ova यानि कीड़े ना हों

कमी किसमे है ये जानने के लिए दोनों अपनी अपनी मनी अलग अलग पानी में डालें जिसकी मनी पानी की तह तक ना जाए यानि घुल जाए या तैर जाए तो अस्ल इलाज की ज़रूरत उसको है,अगर मर्द के अंदर कमी है तो हमदर्द के दवाखने से रेक्स कंपनी का माजून मुग़ल्लिज़ जवाहिर लाकर इस्तेमाल करे साथ ही सोहबत में एतेदाल को मलहूज़ रखे,औरत के हैज़ यानि पीरियड की मुद्दत कम से कम 3 दिन और ज़्यादा से ज़्यादा 10 दिन होती है तो अगर उसको हर महीने वक़्त मुक़र्रह पर हैज़ आता है तो उसे बांझ नहीं कहा जा सकता,एक दो दिन आगे पीछे हो सकता है तो ऐसे में बच्चा ना होने की कोई दूसरी वजह होगी,ज़ैल में इस बारे में कुछ तहरीर करता हूं अगर किसी को इससे फायदा पहुंचे तो मुझ गुनहगार को अपनी दुआओं में याद रखें

* एक शख्स हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में आकर अपनी बे औलादी की शिकायत की तो आपने उसे फरमाया कि अण्डे खाया करो

📕 करीनये ज़िन्दगी,सफह 197

* जुमेरात के दिन औरत रोज़ा रखे और जितना दूध पेट भरकर पी सकती हो उतने पर सूरह मुज़म्मिल शरीफ 7 मर्तबा पढ़कर दम करे और इसी से अफ्तार करे अगर दूध हज़म हो गया तो इन शा अल्लाह हमल ठहरेगा और अगर नहीं हज़म हुआ अल्लाह ना करे तो फिर सब्र करे और दुआ करती रहे,बेहतर है कि औरत पढ़े लेकिन अगर सही मखरज से ना पढ़ सकती हो तो किसी हाफिज़ से पढ़वाकर दूध पर दम करवायें

📕 शम्ये शबिस्ताने रज़ा,हिस्सा 1,सफह 31

* अगर औरत को हमल ना ठहरता हो या बांझ भी हो तब भी 7 दिन रोज़ा रखे अफ्तार के वक़्त पानी पर 21 बार या मुसव्वेरो يا مصور पढ़कर दम करे और इसी से अफ्तार करे इन शा अल्लाह हमल रुकेगा,दूसरा ये कि मियां बीवी सोहबत से पहले 10 बार या मुताकब्बेरो يا متكبر पढ़ा करें

📕 सोलह सूरह,सफह 214

* ये दुआ हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम की है जबकि आप बूढ़े हो चुके थे और आपकी बीवी बांझ मगर इसके बा वजूद भी मौला ने आपको हज़रत यहया अलैहिस्सलाम की बशारत दी,इसलिए हर नमाज़ के बाद मर्द व औरत दोनों कम से कम 3 मर्तबा अव्वल आखिर 3,3 बार दरूद शरीफ पढ़ें रब्बी ला तज़र्नी फरदौंव व अन्ता खैरुल वारेसीन رب لاتذرني فردا وانت خير الوارثين ,बहुत बेहतर है कि इसके अलावा भी औरत एक वक़्त मुकर्रर करके बावुज़ू किबला रु दो ज़ानु होकर 100 बार और मर्द किसी वली के आस्ताने में हाज़िरी दे और 100 मर्तबा दिल से वहां ये दुआ पढ़े और उसके वसीले से दुआ करे

📕 मसाएलुल क़ुरान,सफह 282

* हर वक़्त वुज़ु बे वुज़ु या सलामो يا سلام का विर्द करना भी बहुत मुफीद है

📕 रूहानी इलाज,सफह 200

* अगर औरत की ला इल्मी में उसे घोड़ी का दूध पिला दिया जाए और शौहर 1 घंटे बाद उससे क़ुरबत करे तो इन शा अल्लाह हमाल ठहरेगा

📕 मुजर्बाते सुयूती,सफह 188

* औरत अस्कंद नागौरी बारीक पीसकर छानकर रोज़ाना 10 ग्राम गाय के दूध के साथ शुरू हैज़ से खाती रहे और पाक होने के बाद शौहर उसे क़ुरबत करे हमल रहेगा

📕 इलाजुल गुरबा,सफह 143

परहेज़ - ज़्यादा गर्म चीज़,खट्टा,मिर्च मसाला,बादी खाने से बचें

गिज़ा - शोरबा,हलकी रोटी,अरहर,मूंग,लौकी,तुरई,भिन्डी,पालक वगैरह

---------------------------------------------------------

Friday 24 March 2017

शादी, हिस्सा-6, औलाद और उसकी तरबियत


हिस्सा-6

                             *शादी*

            *औलाद और उसकी तरबियत*


* जो औरत हमल की तकलीफ बर्दाश्त करती है उसे सारी रात नमाज़ पढ़ने का और हर दिन रोज़ा रखने का सवाब मिलता है और वो उस मुजाहिद की तरह है जो जिहाद में है और दर्दे ज़ह के हर झटके पर एक ग़ुलाम आज़ाद करने का अज्र मिलता है

📕 ग़ुनियतुत तालिबीन,सफह 113

* हामिला औरत को चाहिए कि हमेशा खुश रहे,रोज़ाना ग़ुस्ल करे,पाक साफ कपड़े पहने,ग़िज़ा हलकी मगर मुक़व्वी खाये,खूबसूरत तस्वीरें देखें,बे वक़्त खाने पीने या सोने जागने से परहेज़ करे,फलों का इस्तेमाल ज़्यादा करे खासकर संगतरा कि संगतरा खाने से बच्चा खूबसूरत होगा,नमाज़ पढ़ना ना छोड़े और क़ुरान की तिलावत करती रहे खुसूसन सूरह मरियम की,अगर चाहते हैं कि आपका बच्चा आपका फरमाबरदार रहे तो सबसे पहले आपको नेक बनना पड़ेगा क्या सुना नहीं कि हुज़ूर ग़ौसे पाक रज़ियल्लाहु तआला अन्हु मां के पेट में ही 18 पारे के हाफिज़ हो गए थे मतलब साफ है आप जो भी करेंगे उसका सीधा असर आपके बच्चे पर पड़ेगा लिहाज़ा झूट चुग़ली बदनज़री गाना बजाना गाली गलौच हराम ग़िज़ा से परहेज़ी और तमाम मुंकिराते शरइया से बचें

📕 सलीकये ज़िन्दगी,सफह 50

* बच्चा कभी मां के मुशाहबे होता है तो कभी बाप के ऐसा इसलिए होता है कि औरत के रहम में 2 खाने होते हैं,दायां लड़के के लिए और बायां लड़की के लिए,तो अगर मर्द का नुत्फा ग़ालिब आया और सीधे खाने में पड़ा तो लड़का होगा और उसकी आदत व चाल-ढाल मर्दाना ही होंगे लेकिन अगर मर्द का नुत्फा ग़ालिब तो आया मगर बाएं खाने में गिरा तो सूरतन तो लड़का होगा मगर उसके अंदर औरतों की खसलत मौजूद होगी मसलन दाढ़ी मुंडाना ज़ेवर पहनना हाथ पैर में मेंहदी लगाना औरतों जैसे बाल रखना जूड़ा बांधना यानि उसको औरतों की वज़अ कतअ बनाने का बड़ा शौक़ होगा युंही अगर औरत का नुत्फा ग़ालिब आया और बाएं खाने में गिरा तो ज़हिरो बातिन में लड़की ही होगी लेकिन अगर औरत का नुत्फा ग़ालिब तो आया मगर रहम के दाहिने खाने में रुका तो जब तो सूरतन लड़की होगी मगर उसके अंदर मरदाना खसलत पाई जायेगी मसलन घोड़ा चलाना बाईक चलाना मर्दाने कपड़े व जूते पहनना मर्दों की तरह छोटे छोटे बाल रखना बोल चाल में भी मरदाना पन रहेगा

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 362

* बच्चा मां और बाप दोनो का होता है मतलब उसकी हड्डियां मर्द के नुत्फे से बनती है और गोश्त वगैरह औरत के नुत्फे से

📕 क्या आप जानते हैं,सफह 607

* हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं की "बेशक औलाद की खुशबु जन्नत की खुशबु है

📕 मुकाशिफातुल क़ुलूब,सफह 515

* और फरमाते हैं कि "निकाह करो कि मैं तुम्हारी कसरत पर फख्र करूंगा यानि ज़्यादा बच्चे पैदा करो, मगर यहां तो हाल ही अलग है पहले तो हम 2 हमारे 2 का नारा हुआ करता था और आज कल हम 1 हमारा 1 फैशन में है,माज़ अल्लाह

📕 मुसनदे इमाम आज़म,सफह 208

* लड़की पैदा होना बाईसे बरक़त है जैसा कि हदीसे पाक में आता है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं "जिसके बेटियां हों और वो उनकी अच्छी तरह परवरिश करे तो क़यामत के दिन वो और मैं इतने पास होंगे फिर आपने अपनी उंगलियां मिलाकर दिखाया कि इस तरह

📕 मुस्लिम,जिल्द 2,सफह 330

* जिसकी 1 या 2 या 3 बेटियां या बहने हों और वो उनकी परवरिश करे यहां तक कि उनकी शादियां करा दे तो उस पर जन्नत वाजिब है

📕 मिश्कात,सफह 423

* सुब्हान अल्लाह ये रिवायत पढ़िए हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि "जिस घर में लड़कियां होती हैं तो आसमान से रोज़ाना उस घर पर 12 रहमतें नाज़िल होती है और उस घर की फरिश्ते ज़ियारत करते हैं और उस लड़की के मां बाप के नामये आमाल में रोज़ाना साल भर की इबादत का सवाब लिखा जाता है अल्लाहो अकबर

📕 नुज़हतुल मजालिस,जिल्द 2,सफह 83

* लड़कियों की पैदाईश पर नाखुश होना काफिरों का तरीका है जैसा कि मौला तआला फरमाता है कि "और जब उनमें से किसी को बेटी होने की खुश खबरी दी जाती है तो दिन भर उसका मुंह काला रहता है
और गुस्सा खाता है

📕 पारा 14,सूरह नहल,आयत 58

* जब बच्चे की विलादत हो तो उसे फौरन ग़ुस्ल देकर सीधे कान में अज़ान कही जाए और बाएं कान में तकबीर,बेहतर है कि अज़ान 4 बार कहें और तकबीर 3 बार,और कोई मुत्तक़ी परहेज़गार शख्स  खजूर चबाकर बच्चे के मुंह में डाले कि हदीसे पाक में आता है कि बच्चे को पहली घुट्टी देने वाले का असर बच्चे पर आता है इसीलिए सहाबा इकराम अपने मौलूद बच्चों को लेकर हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में आते और हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम उनके मुंह में अपना लोआबे पाक डाल देते


📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 46

* सातवें दिन बच्चे का अक़ीक़ा किया जाए उसका बाल मूंडकर उसके बराबर चांदी सदक़ा करे या उसकी कीमत और बच्चे का नाम रखे,लड़के के लिए 2 बकरे और लड़की के लिए 1 बकरी या लड़के में बकरी कर दी और लड़की में बकरा तब भी कोई हर्ज नहीं युंही 2 की जगह 1 या 1 की जगह 2 कर दिया तो भी हो जायेगा उसी तरह बड़े जानवर में हिस्सा लिया तो भी अक़ीक़ा हो जायेगा,और अक़ीक़े का गोश्त बच्चे के मां बाप दादा दादी नाना नानी सब खा सकते हैं

📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 15,सफह 154

* जो औरतें बच्चों को अपना दूध नहीं पिलाती इस गर्ज़ से कि कहीं उनकी खूबसूरती कम ना हो जाए वो इस रिवायत को पढ़ें कि शबे मेराज में हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने कुछ औरतों को देखा कि जिनके पिस्तान ज़्यादा बड़े हैं उन्हें सांप डस रहे हैं तो जिब्रीले अमीन फरमाते हैं कि ये वो औरतें हैं जो बच्चों को अपना दूध नहीं पिलाती थीं

📕 शराहुस्सुदूर,सफह 153

* बच्चे की दूध की हर चुस्की के बदले मां को एक ग़ुलाम आज़ाद करने का सवाब मिलता है और जब वो उसका दूध छुड़ाती है तो ग़ैब से निदा आती है कि ऐ औरत तेरे आज तक के सारे गुनाह माफ हुए अब तू नए सिरे से नेकियां कर

📕 ग़ुनियतुत तालिबीन,सफह 113

* मां का दूध बच्चे के लिए हर चीज़ से ज़्यादा फायदेमंद है तबीबो का यही कहना है कि जो बच्चा मां के दूध पर पला है वो बहुत कम बीमार पड़ेगा और जो मां के दूध से महरूम रहेगा वो कमज़ोर और तरह  तरह की बिमारियों में ज़िन्दगी भर मुब्तेला रहेगा,बच्चे की परवरिश पर मां का हक़ है तो बग़ैर उसकी मर्ज़ी के कोई उसका बच्चा नहीं पाल सकता हां अगर उसको दूध वगैरह नहीं उतरता तो ऐसी सूरत में दाया वगैरह को दिया जाए या डब्बे का दूध इस्तेमाल करायें

📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 2,सफह 472

* बच्चे को 2 साल से ज़्यादा दूध पिलाना मना है और ढाई साल से ज़्यादा पिलाना हराम हां 2 साल से पहले अगर दूध छुड़ाना चाहें तो छुड़ा सकता है इजाज़त है

📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 7,सफह 29

एक बहुत ज़रूरी बात बेशक अपनी औलाद को नेक तालीम देना हर मां बाप पर फर्ज़ है लेकिन अगर मां बाप ये गलती कर बैठे हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को दीनी तालीम नहीं दी तो बेशक वो कुसूर वार हैं  मगर उतना नहीं जितना कि आजकल की औलाद उन्हें ठहराती है मसलन कोई भी बात पड़ी तो फौरन कह दिया कि मेरे मां बाप ने हमें पढ़ाया ही नहीं या सिर्फ यही सोच ही लिया कि गलती हमारी थोड़ी ही थी,तो उनकी गलती उसी वक़्त मानी जाती जबकि औलाद बालिग़ होने से पहले मर जाती और जब बालिग़ हो गयी तो दुनिया भर की सारी खुराफात तो खुद सीख गया

गुटखा खाना सिगरेट पीना क्या मां बाप ने सिखाया था
लौंडिया बाजी करना क्या मां बाप ने सिखाया था
अय्याशी करना भी क्या मां बाप ने सिखाया था
कुछ शराब पीते हैं क्या मां बाप ने सिखाया था
नाचना गाना हुल्लड़ बाज़ी करना क्या मां बाप ने सिखाया था
झूट मक्कारी आवारा गर्दी करना क्या मां बाप ने सिखाया था

नहीं ना फिर भी सीख गया,तो जब ये सब खुद से सीख लिया तो इल्मे दीन क्यों नहीं सीखा ये सिर्फ एक बहाना है और बहाने से इंसान को फुसलाया जा सकता है फरिश्तों को नहीं,लिहाज़ा अगर फरिश्तों की मार से बचना चाहते हैं तो मरने से पहले हर वो चीज़ जिसकी एक इंसान को ज़रूरत पड़ती है उतना इल्म हासिल कर लें क्योंकि ज़रूरत का इल्म हासिल करना हर मुसलमान पर फर्ज़ है

जारी रहेगा...........
  -------------------------------------------------------

  *Aulaad aur uski tarbiyat*

* Jo aurat hamal ki taqleef bardaasht karti hai use saari raat namaz padhne ka aur har din roza rakhne ka sawab milta hai aur wo us mujahid ki tarah hai jo jihaad me hai aur darde zah ke har jhatke par ek ghulam aazad karne ka ajr milta hai

📕 Guniyatut taalebeen,safah 113

* Haamila aurat ko chahiye ki hamesha khush rahe,rozana gusl kare,paak saaf kapde pahne,giza halki magar muqavvi khaaye,khoobsurat tasweerein dekhe,be waqt khaane peene ya sone jaagne se parhez kare,phalo ka istemaal zyada kare khaaskar sangtara ki sangtara khaane se bachcha khoobsurat hoga,namaz padhna na chhode aur quran ki tilawat karti rahe khususan surah mariyam ki,kyunki agar chahte hain ki aapka bachcha aapka farma bardaar rahe to sabse pahle aapko neik banna padega kya suna nahin ki huzoor ghause paak raziyallahu taala anhu maa ke peit me hi 18 paare ke haafiz ho gaye the matlab saaf hai aap jo bhi karenge uska seedha asar aapke bachche par padega lihaza jhoot chugli badnazri gaana bajana gaali galauch haraam giza se parhezi aur tamam munkirate sharaiya se bachen

📕 Saliqaye zindagi,safah 50

* Bachcha kabhi maa ke mushaabe hota hai to kabhi baap ke aisa isliye hota hai ki aurat ke raham me 2 khaane hote hain,daaya ladke ke liye aur baaya ladki ke liye,to agar mard ka nutfa gaalib aaya aur seedhe khaane me pada to ladka hoga aur uski aadat wa chaal-dhaal mardaana hi honge lekin agar mard ka nutfa gaalib to aaya magar baaye khaane me gira to hoga to suratan to ladka hoga magar uske andar aurton ki khaslat maujood hogi maslan daadhi mundana zevar pahanna haath pair me menhdi lagana aurton jaise baal rakhna jooda baandhna yaani usko aurton ki waza qata banane ka bada shauq hoga yunhi agar aurat ka nutfa gaalib aaya aur baayein khaane me gira to zahiro baatin me ladki hi hogi lekin agar aurat ka nutfa gaalib to aaya magar raham ke daahine khaane me ruka to jab to suratan to ladki hogi magar uske andar mardana khaslat paayi jayegi maslan ghoda chalana byke chalana mardane kapde wa joote pahanna mardo ki tarah chhote chhote baal rakhna bol chaal me bhi mardana pan rahega 

📕 Fatawa razviyah,jild 9,safah 362

* Bachcha maa aur baap dono ka hota hai matlab ye ki uski haddiyan mard ke nutfe se banti hai aur gosht wagairah aurat ke nutfe se

📕 Kya aap jaante hain,safah 607

* Huzoor sallallaho taala alaihi wasallam irshad farmate hain ki "beshak aulaad ki khushbu jannat ki khushbu hai

📕 Muqashifatul quloob,safah 515

* Aur farmate hain ki "nikah karo ki main tumhari kasrat par fakhr karunga yaani zyada bachche paida karo, magar yahan to haal hi alag hai pahle to hum 2 hamare 2 ka naara hua karta tha aur aaj kal hum 1 hamara 1 faision me hai,maaz ALLAH

📕 Musnade imaam aazam,safah 208

* Ladki paida hona baayise barqat hai jaisa ki hadise paak me aata hai ki huzoor sallallaho taala alaihi wasallam irshaad farmate hain ki "Jiske betiyan hon aur wo unki achchhi tarah parwarish kare to qayamat ke din wo aur main itne paas honge phir aapne apni ungliya milakar dikhaya ki is tarah

📕 Muslim,jild 2,safah 330

* Jiski 1 ya 2 ya 3 betiyan ya bahne hon aur wo unki parwarish kare yahan tak ki unki shadiyan kara de to uspar jannat waajib hai

📕 Mishkat,safah 423

* SUBHAAN ALLAH ye riwayat padhiye huzoor sallallaho taala alaihi wasallam irshaad farmate hain ki "Jis ghar me adkiyan hoti hain to aasmaan se rozana us ghar par 12 rahmatein naazil hoti hai aur us ghar ki farishte ziyarat karte hain aur us ladki ke maa baap ke naamaye aamaal me rozana saal bhar ki ibaadat ka sawab likha jaata hai ALLAHO AKBAR

📕 Nuzhatul majalis,jild 2,safah 83

* Ladkiyon ki paidayish par naakhush hona kaafiro ka tariqa hai jaisa ki surah nahal me maula taala farmata hai ki "aur jab unme se kisi ko beti hone ki khush khabri di jaati hai to din bhar uska munh kaala rahta hai aur gussa khaata hai

📕 Surah nahal,aayat 58

* Jab bachche ki wiladat ho to use fauran gusl dekar seedhe kaan me azaan kahi jaaye aur baayen kaan me takbeer,behtar hai ki azaan 4 baar kahen aur taqbeer 3baar kahi jaaye,aur koi mutaaqi parhezgar shkahs khajur chabakar bachche ke munh me daale ki hadise paak me aata hai ki bachche ko pahli ghutti dene waale ka asar bachche par aata hai isiliye sahaba ikram apne maulud bachchon ko lekar huzoor sallallaho taala alaihi wasallam ki baargah me aate aur huzoor sallallaho taala alaihi wasallam unke munh me apna loaabe paak daal dete

📕 Fatawa razviya,jild 9,safah 46

* Saatwein din bachche ka aqeeqa kiya jaaye uska baal moond kar uske barabar chaandi sadqa kare ya uski keemat aur bachche ka naam rakhe,ladke ke liye 2 bakre aur ladki ke liye 1 bakri ya ladke me bakri kar di aur ladki me bakra tab bhi koi harj nahin yunhi 2 ki jagah 1 ya 1 ki jagah 2 kar diya to bhi ho jayega usi tarah bade jaanwar me hissa liya to bhi aqeeqa ho jayega,aur aqeeqe ka gosht bachche ke maa baap daada daadi naana naani sab kha sakte hain 

📕 Bahare shariyat,hissa 15,safah 154

* Jo aurtein bachchon ko apna doodh nahin pilati is garaz se ki kahin unki khoobsurti kam na ho jaaye wo is riwayat ko padhen ki shabe meraj me huzoor sallallaho taala alaihi wasallam ne kuchh aurton ko dekha ki jinke pistaan had se zyada bade hain unhein saanp das rahe hain to jibreele ameen farmate hain ki ye wo aurtein hain jo bachchon ko apna doodh nahin pilati thin

📕 Sharahus sudoor,safah 153

* Bachche ki doodh ki har chuski ke badle maa ko ek ghulam aazad karne ka sawab milta hai aur jab wo uska doodh chhudati hai to gaib se nida aati hai ki ai aurat tere aaj tak ke saare gunah maaf hue ab tu naye sire se nekiyan kar

📕 Guniyatut taalebeen,safah 113

* Maa ka doodh bachche ke liye har cheez se zyada faaydemand hai tabeebo ka yahi kahna hai ki jo bachcha maa ke doodh par pala hai wo bahut kam beemar padega aur jo maa ke doodh se mahroom rahega wo kamzor aur tarah tarah ki bimariyon me zindagi bhar mubtela rahega,bachche ki parwarish par maa ka haq hai to bagair uski marzi ke koi uska bachcha nahin paal sakta haan agar usko doodh wagairah nahin utarta to aisi surat me daaya wagairah ko diya jaaye ya dabbe ka doodh istemal karayen

📕 Tafseere nayimi,jild 2,safah 472

* Bachche ko 2 saal se zyada doodh pilana mana hai aur dhaai saal se zyada pilana haraam haan 2 saal se pahle agar doodh chhudana chaahe to chhuda sakta hai ijazat hai

📕 Bahare shariyat,hissa 7,safah 29

Ek bahut zaruri baat beshak apni aulaad ko neik taaleem dena har maa baap par farz hai lekin agar maa baap ye galti kar baithe hain ki unhone apne bachcho ko deeni taaleem nahin di to beshak wo kusoor waar hain magar utne nahin jitna ki aajkal ki aulaad unhein thahrati hai maslan koi bhi baat padi to fauran kah diya ki mere maa baap ne hamein padhaya hi nahin,to unki galti usi waqt maani jaati jabki aulaad baalig hone se pahle mar jaati aur jab baalig ho gayi to duniya bhar ki saari khuraafat to khud seekh gaya

laundiya baaji karna kya maa baap ne sikhayi thi
Gutkha khaana sigrate peena kya maa baap ne sikhaya tha
Ayyashi karna bhi kya maa baap ne sikhaya tha
Kuchh sharaab peete hain kya maa baap ne sikhaya tha
Naachna gaana hullat baazi karna kya maa baap ne sikhaya tha
jhoot makkari aawara gardi kya maa baap ne sikhayi

Nahin na phir bhi seekh gaya,to jab aawara gardi khud se seekh sakta hai to ilme deen kyun nahin seekha ye sirf ek bahana hai aur bahane se insaan ko fuslaya ja sakta hai farishto ko nahin,lihaza agar farishton ki maar se bachna chahte hain to marne se pahle har wo cheez jiski ek insaan ko zarurat padti hai utna ilm haasil kar lein kyunki zarurat ka ilm haasil karna har musalman par farz hai

To be continued..........



Tuesday 21 March 2017

अज़ाने क़ब्र का सुबूत


*** अज़ाने क़ब्र का सुबूत ***

कुछ लोगों को सिवाए ऐतराज़ करने के और कोई काम नहीं रह गया है ऐसे लोग अगर पैदा होते ही बोल पाते तो अपने मां बाप पर भी ऐतराज़ कर देते कि हमको पैदा क्यों कर दिया इन जैसे लोगों की अक़्ल पर इस क़दर पत्थर पड़ गए हैं कि इन्हें ना तो क़ुरान की आयते दिखाई देती हैं और ना ही हदीसे मुबारका और हमेशा बस एक ही रोना ये शिर्क है ये बिदअत है ये हराम है अब इनको कौन समझाए कि ये भी तो क़ुरूने सलासा में ना थे तो इनका पैदा होना भी तो बिदअत ही हुआ ख़ैर बात को आगे बढ़ाने से पहले किसी काम के जायज़ होने की दलील क्या है ये समझ लीजिए

! जिस काम को हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने किया वो जायज़

! जिस काम को हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने कहा वो जायज़

! जिस काम को लोगों को करता देखकर हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने मना न किया वो जायज़

* चलिये अज़ाने क़ब्र पर दलील मुलाहज़ा करें

1. अपने मुर्दों को लाइलाहा इल्लल्लाह सिखाओ

📕 अबू दाऊद,जिल्द 2,सफह 88

* अब मुर्दों को कल्मा सिखाने का क्या मतलब ज़ाहिर सी बात है कि मुर्दे सब सुनते समझते हैं और क़ब्र में उससे नकिरैन 3 सवाल करेंगे जिसका उसे जवाब देना पड़ेगा तो फ़रमाया जा रहा है कि उनको कल्मा सिख़ाओ यानि तुम उनको बताओगे तो उन्हें जवाब देने में आसानी होगी जैसा कि हदीसे पाक में है हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि

2. जब मुर्दों को दफ़्न करदो तो कुछ देर वहां रुको और उसे तलक़ीन करते रहो कि अब उससे सवाल होगा

📕 अबू दाऊद,हाकिम,बैहक़ी

* और ऐसा करना खुद हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम से साबित है

3. हज़रत जाबिर रज़ी अल्लाहो तआला अन्हु फरमाते हैं कि जब हज़रत सअद रज़ी अल्लाहो तआला अन्हु को दफ्न किया गया तो बहुत देर तक हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम सुब्हान अल्लाह सुब्हान अल्लाह कहते रहे तो सहाबा भी साथ साथ पढ़ते रहे फिर हुज़ूर अल्लाहो अकबर अल्लाहो अकबर कहने लगे तो सहाबा इकराम भी यही पढ़ने लगे फिर हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि इस नेक बन्दे पर क़ब्र तंग हो गयी थी यहां तक कि अल्लाह ने उसकी ये तंगी दूर फरमा दी

📕 मिश्क़ात,जिल्द 1,सफह 26

* तो मुर्दों को लाइलाहा इल्लल्लाह सिखाने के लिए अज़ान से बेहतर क्या होगा कि अज़ान में सब कुछ मौजूद है अल्लाह की गवाही भी अज़ान जिस दीन में है वो इस्लाम भी और खुद हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम का तज़किरा भी और यही नहीं क़ब्र पर अज़ान देने के और भी फायदे हैं उन्हें भी पढ़ लीजिए

फायदा नं - 1

! इमाम तिर्मिज़ी मुहम्मद इब्ने अली अपनी किताब नवादिरूल उसूल में फरमाते हैं कि जब फ़रिश्ता क़ब्र में सवाल करता है कि मन रब्बोका यानि तेरा रब कौन है तो शैतान वहां भी पहुंच जाता है और बन्दे को बहकाने की कोशिश करता है लिहाज़ा शैतान को भगाने के लिए अज़ान दी जाती है जैसा कि हदीसे पाक में आता है कि

4. जब मुअज़्ज़िन अज़ान कहता है तो शैतान हवा छोड़ते हुए भागता है

📕 बुखारी शरीफ

5. जब अज़ान होती है तो शैतान 36 मील यानि 58 किलोमीटर दूर भाग जाता है

📕 तिर्मिज़ी शरीफ

फायदा नं - 2

! अगर माज़ अल्लाह सुम्मा माज़ अल्लाह बन्दे की क़ब्र में अज़ाब आ गया यानि आग में पड़ गया तो उस आग को बुझाने यानि अज़ाबे इलाही को दूर करने के लिए अज़ान दी जाती है जैसा कि हदीसे पाक में आता है कि

6. जब आग देखो तो तकबीर यानि अल्लाहो अकबर कहते रहो कि ये आग को बुझा देगा

📕 इब्ने असाकिर

7. खुदा के ज़िक्र से बढ़कर कोई भी चीज़ अज़ाबे इलाही से बचाने वाली नहीं है

📕 इमाम अहमद,बैहक़ी,इब्ने अबिद्दुनिया

8. जिस जगह अज़ान दी जाती है अल्लाह तआला उस दिन उस जगह को अज़ाब से महफूज़ कर देता है

📕 मोअज़्ज़म कबीर

9. जिस जगह ज़िक्रे खुदा होता है फ़रिश्ते उस जगह को घेर लेते हैं और वहां रहमत की बारिश शुरू हो जाती है

📕 तिर्मिज़ी,मुस्लिम

फायदा नं - 3

! मुर्दा जब क़ब्र में पहुंचता है तो ऐसा तंग और अंधेरी जगह देखकर घबराता है लिहाज़ा उसकी घबराहट को दूर करने के लिए अज़ान दी जाती है जैसा कि हदीसे पाक में है कि

10. जब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को ज़मीन पर उतारा गया तो उन्हें बहुत घबराहट महसूस हुई तो रब ने हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम को भेजा और उन्होंने आकर अज़ान दी जिससे कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की घबराहट दूर हो गई

📕 अबु नुअैम,इब्ने असाकिर

फायदा नं - 4

! बन्दे को जब दफ्न करके लोग जाने लगते हैं तो वो बेहद ग़मगीन हो जाता है और अपने अज़ीज़ों को पुकारता है उसके इसी ग़म को दूर करने के लिए अज़ान दी जाती है जैसा कि हदीसे पाक में आता है कि

11. एक मरतबा हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने मौला अली रज़ी अल्लाहो तआला अन्हु को ग़मगीन देखा तो आपने फ़रमाया कि ऐ अली किसी से कहो कि तुम्हारे कान में अज़ान कह दे कि ये ग़मों को दूर कर देती है

📕 मुसनदुल फ़िरदौस


फायदा नं - 5

! और ऐसा करके यानि अज़ान देकर मुर्दे के लिए आसानी पैदा करने की कोशिश करना अल्लाह को बहुत पसंद है जैसा कि हदीसे पाक में आता है कि

12. फ़र्ज़ों के बाद किसी मुसलमान का दिल खुश करना अल्लाह के नज़दीक सबसे ज़्यादा पसन्दीदा अमल है

📕 तिबरानी शरीफ

13. अल्लाह तआला उस बन्दे की मदद करता है जो अपने मुसलमान भाई की मदद करता है

📕 मुस्लिम,अब दाऊद,तिर्मिज़ी,इब्ने माजा

14. जो शख्स किसी मुसलमान की हाजत पूरी करता है तो अल्लाह उसकी हाजत पूरी करता है और जो शख्स किसी मुसलमान पर से तक़लीफ को दूर करता है तो अल्लाह उसकी तक़लीफ को दूर कर देता है

📕 अबु दाऊद

* और वहाबियों के मौलवी इस्हाक़ देहलवी ने अपनी किताब में लिखा है कि

15. कब्र के पास खड़े रहकर दुआ करना सुन्नत से साबित है

📕 मीता मसायल

* मगर आज का वहाबी तो उनसे भी 4 क़दम आगे है दुआ दुरूद मे वक़्त क्युं खराब करे यहां मुरदा दफ़न हुआ वहां खिसक लिये,हालांकि अज़ान ज़िक्र है और हर ज़िक्र दुआ है जैसा कि रिवायत में है कि

! मुल्ला अली क़ारी मिरक़ात शरहे मिशक़ात में फरमाते हैं कि हर दुआ ज़िक्र है और हर ज़िक्र दुआ है और दुआ की क़ुबुलियत के लिये हदीसे पाक में है कि

16. दो दुआएं रद्द नहीं की जाती एक अज़ान के वक़्त और दूसरी जिहाद के वक़्त

📕 अबु दाऊद

17. जब अज़ान दी जाती है तो आसमान के दरवाज़े खुल जाते हैं यानि दुआएं क़ुबूल होती है

📕 अबु दाऊद,हाकिम,अबु याला

* अब ऐतराज़ करने वाल कहेगा कि ये हदीस ज़ईफ़ है वो ज़ईफ़ है

* तो हमसे हर बात पर क़ुरान और हदीस से हवाला मांगने वाले कभी खुद भी तो क़ुरान और हदीस से हवाला देकर ये साबित करें कि मीलाद मनाना,उर्स मनाना,चादर चढ़ाना,फातिहा दिलाना,सलाम पढ़ना,क़ब्र पर अज़ान देना ये सब शिर्क और बिदअत है,अरे क़ुरान से ना सही तो हदीस ही दिखा दें,चलो सही हदीस न सही तो हुस्न ही सही,अरे सही और हुस्न नहीं मिल रही तो चलो कोई ज़ईफ़ ही हदीस पेश कर दें,मगर दिखाएंगे कहां से जब होगी तब तो दिखायेंगे ये तो सारी ज़िन्दगी बस पागलों की तरह शिर्क शिर्क बिदअत बिदअत चिल्लाते रहेंगे

* ये तमाम बहस आलाहज़रत अज़ीमुल बरक़त रज़ी अल्लाहु तआला अन्हु की किताब "इज़ानुल अज्रे फि अज़ानिल क़ब्रे" जो कि हिंदी में "अज़ाने क़ब्र" के नाम से छप चुकी है उससे पेश की गई है जिसे इससे भी ज़्यादा तफ़्सील की दरकार हो तो वो अस्ल किताब की तरफ रुजूअ करे.



Wazayaf बीवी, बहु, शौहर, बुरी आदतों


*** Wazayaf ****

* अगर बीवी नाफरमान हो तो उसकी नाफरमानी को फरमा बरदारी में बदलने के लिए जब भी उसके सामने हों तो या वलिय्यो يا ولىّ का विरद करता रहे इन शा अल्लाह कुछ ही दिनों में वो फरमा बरदार हो जाएगी

* अगर बहु नेक है और घर वाले उसे परेशान करते हैं तो वो हर नमाज़ के बाद 125 बार या क़ुद्दूसो या हमीदो يا قدوس يا حميد पढ़ा करे अव्वल आखिर 11,11 बार दुरूद शरीफ,इन शा अल्लाह सब उससे मुहब्बत करने लगेंगे

* अगर शौहर किसी ग़ैर औरत के चक्कर में फंस गया है तो बीवी हर नमाज़ के बाद 125 बार या सलामो या हादी يا سلام يا هادى अव्वल आखिर 9,9 बार दुरूद शरीफ,इन शा अल्लाह वो राहे रास्त पर आ जायेगा

📕 रूहानी इलाज,सफह 132-200-204

* किसी भी तरह का कोई भी काम हो जुमे के दिन अस्र की नमाज़ पढ़कर वहीं बैठ जायें और मग़रिब तक या अल्लाहो या रहमानो या रहीमो يا الله يا رحمن يا رحيم का विर्द करता रहे,इन शा अल्लाह काम पूरा होगा मुजर्रबुल मुजर्रब है

* अगर किसी का ज़हन बिल्कुल ही खराब हो कि जो कुछ सुनता है भूल जाता है तो वो हर फर्ज़ नमाज़ के बाद दाहिने हाथ की कुछ उंगलिया सर पर रखकर 11 बार या क़विय्यो يا قويّ पढ़े और इसके साथ ही 3 माशा कलौंजी पीसकर शहद में मिलाकर खाया करे

📕 शम्ये शबिस्ताने रज़ा,सफह 63-368

* बुरी आदतों वाला अगर नेक इंसान बनना चाहे तो हर नमाज़ के बाद या हकीमुन يا حكيم 100 मर्तबा पढ़े अव्वल आखिर 3,3 बार दुरूद शरीफ,इन शा अल्लाह बहुत जल्द नेक और सालेह बन जायेगा

📕 सोलह सूरह,सफह 228

* बुखारी शरीफ की रिवायत है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि मुझे उस मुक़द्दस हस्ती की कसम है जिसके कब्ज़ए क़ुदरत में मेरी जान है कि जिस राह से उमर गुज़रता है उस राह से शैतान हट जाता है लिहाज़ा जिस किसी को एहतेलाम (nightfaal) ज़यादा होता हो तो ऐसा शैतान के शर की वजह से होता है तो वो अपने सीने पर उंगली से عمر लिखकर सोया करे इन शा अल्लाह एहतेलाम से महफूज़ रहेगा

📕 शाने सहाबा,सफह 100

--------------------------------------------------

* Agar biwi nafarman ho to uski nafarmani ko farma bardaari me badalne ke liye jab bhi uske saamne hon to YA WALIYYO يا ولىّ ka wird karta rahe in sha ALLAH kucch hi dino me wo farma bardaar ho jayegi

* Agar bahu neik hai aur ghar waale use pareshan karte hain to wo har namaz ke baad 125 baar YA QUDDUSO YA HAMEEDO يا قدوس يا حميد padha kare awwal aakhir 11,11 baar durood sharif,in sha ALLAH sab usse muhabbat karne lagenge

* Agar shauhar kisi gair aurat ke chakkar me phans gaya hai to biwi har namaz ke baad 125 baar YA SALAAMO YA HAADI يا سلام يا هادى awwal aakhir 9,9 baar durood sharif,In sha ALLAH wo raahe raast par aa jayega

📕 Ruhani ilaaj,safah 132-200-204

* Kisi bhi tarah ka koi bhi kaam ho jume ke din asr ki namaz padhkar wahin baith jaayen aur magrib tak YA ALLAHO YA RAHMAANO YA RAHEEMO يا الله يا رحمن يا رحيم ka wird karta rahe,in sha ALLAH kaam poora hoga mujarrabul mujarrab hai

* Agar kisi ka zahan bilkul hi kharab ho ki jo kuchh sunta hai bhool jaata hai to wo har farz namaz ke baad daahine haath ki kuchh ungliya sar par rakhkar 11 baar YA QAVIYYO يا قويّ padhe aur iske saath hi 3 maasha kalunji peeskar shahad me milkar khaaya kare

📕 Shamye shabistane raza,safah 63-368

* Buri aadato waala agar neik insaan banna chahe to har namaz ke baad YA HAKIMUN يا حكيم 100 martaba padhe awwal aakhir 3,3 baar durood sharif,in sha ALLAH bahut jald neik aur saaleh ban jayega

📕 Solah surah,safah 228

* Bukhari sharif ki riwayat hai ki huzoor sallallaho taala alaihi wasallam irshad farmate hain ki mujhe us muqaddas hasti ki kasam hai jiske qazaye qudrat me meri jaan hai ki jis raah se UMAR guzarta hai us raah se shaitan hat jaata hai lihaza jis kisi ko ehtelam (nightfaal) zyada hota ho to aisa shaitan ke shar ki wajah se hota hai to wo apne seene par ungli se عمر likhkar soya kare in sha ALLAH ehtelam se mahfooz rahega

📕 Shaane sahaba,safah 100

Tuesday 14 March 2017

शादी में नाचने वाले इसे पढ़ें -


शादी में नाचने वाले इसे पढ़ें -

जो इस्लाम अगर किसी सोने वाले को तक्लीफ़ होती हो तो बुलंद आवाज से कुरआन पढने की इजाज़त नही देता आज उसी इस्लाम काे मानने वाले कुछ बे ह़या, बे ग़ैरत, बे शर्म, शैतान के भाई शादियो मे पूरी रात डी.जे. बजाते है , त़रह़ त़रह़ के खुराफ़ात करते हैं और लोगो की नींदें खराब करते हैं और नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم की तालीम का मज़ाक़ उड़ाते हैं, ना मस्जिद का एह़तिराम करते हैं और ना पडोसियों की तक्लीफ़ का ख़्याल करते हैं! मेरे अ़ज़ीज़ों, हम शादियो में ऐसे बे मुरव्वती वाले काम करके कौनसा सवाब कमा रहे है

बे पर्दा औरतो के बीच ना महरम मर्दो को बिठाकर नाच कूद का प्रोग्राम रखकर कौनसी जन्नत के तलबगार हैं

क्या हमारे आक़ा صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم ने हमे यही तालीम दी थी

क्या हम मुसलमान अपने नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم के उन सज्दों को भूल गए जिनमें हमारे लिए बख्शिश की दुआ़ की जाती थी। क्या हम इतना गिर चुके हैं हम खुद को मुसलमान कहते हैं और इस्लाम को यूं बदनाम कर रहे हैं!

हमारे आक़ा صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم ने हमको अपना उम्मती कहा और हमारे लिए दुआ फरमाते रहे और हम अपने प्यारे नबी की सुन्नतों को पामाल कर रहे हैं,

हमने हमारे नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم के उन आंसूओं का भी ख़याल न किया जो सरकार ने हमारी बख़्शिश के लिए रातों में बहाए थे!

इस्लाम में औ़रत की आवाज़ का भी पर्दा हैं और नात ए पाक और यहां तक कि तिलावते कुरआन भी सिर्फ़ इतनी आवाज़ से पढ़ने का हुक्म हैं कि उनकी आवाज़ गैर मर्दों तक न पहुंचे,
मगर अफ़्सोस, आज वोही मुसलमान औ़रतें शादियों में ढ़ोलक पीट कर गाने गा रही हैं और उनकी आवाज़ें जो बाहर तक जा रही होती हैं उन्हे ग़ैर मर्द सुन रहे हैं!

खुद को मां फ़ातिमा की कनीज़ कहने वालियों,
हमारे नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم की प्यारी बेटी फ़ातिमतुज़्ज़हरा का तो एक बाल भी कभी ज़ाहिर नही हुआ, जो रोज़े महशर भी हूरों के साए में होगी और जिन्होनें अपने कफ़न का भी पर्दा रखने की वसिय्यत की, उस पाक दामन हस्ती की गुलामी का दम भरने वालियों,
तुम अपने आप से सवाल करो कि क्या तुम ख़ातूने जन्नत के नक़्श ए क़दम पर चल रही हो

हम सबको अपनी आख़िरत पर गौर करना चाहिए क्यूंकि क़ब्र की अन्धेरी घाटी में सबको उतरना हैं और वहां हमारी मदद करने वाला हमारा कोई सगा नही आने वाला, वहां अगर कोई हमारी मदद करेगा तो वो हमारे किए हुए नेक आमाल हैं और हम सबके आक़ा صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم हैं और वहां पर हमारे गुनाहों की वजह से अगर नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم ने ये कह दिया कि ये तो शादियों में नाचती थी, ढ़ोल पीटती थी, बे तकल्लुफ़ हो कर मर्दों तक अपनी आवाज़ पहुंचाती थी, बे पर्दा घूमती थी, मेरी दी हुई तालीम को पामाल करती थी, नाच गानों की मह़फ़िलों में मर्दों से खल्त मल्त होती थी"
तो सोचिए, वहां हमे बचाने के लिए कौन आएगा
वहां कौन हमारी फ़रियाद सुनेगा
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के एह़सान से हमको बख़्शवाने वाली एक ही ज़ात हैं और वो सरकारे दो आ़लम صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم हैं और अगर उन्होने ही मुंह फेर लिया तो हम कहां जाएंगे

फिर तो अ़ज़ाबे क़ब्र का सामना करना पड़ेगा, सांप और बिच्छूओं से पाला पड़ेगा, जिन अ़ज़ाब के फ़िरिश्तों की सूरत अगर दुनिया देख ले तो दहशत से मर जाए वो अ़ज़ाब के फ़िरिश्तें मुसल्लत किए जाएंगे! अल्लाहु अकबर
अब भी हमारे पास वक़्त हैं, अब भी कुछ नही बिगड़ा, अब भी तौबा का दरवाज़ा खुला हैं!

अगर खुद को अल्लाह عَزَّوَجَلَّ का बन्दा कहते हो, अगर नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم की मौहब्बत का दम भरते हो, खुद को नबी صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم का गुलाम कहते हो, खुद को मुसलमान कहते हो तो आज बल्कि अभी से तौबा करो और ये अहद करो कि कभी भी शादियो में नाच गाना नही करोगे, डी.जे. वग़ैरा से दूर रहोगे!

जो गुनाह को गुनाह समझकर भी उस गुनाह से तौबा न करे और उस गुनाह पर अडा रहे वोही सबसे बड़ा बेवकूफ़ है .!!

Saturday 11 March 2017

शादी, हिस्सा-5, मियां बीवी के एक दूसरे पर हुक़ूक़


*हिस्सा-5*

                             *शादी*


        *मियां बीवी के एक दूसरे पर हुक़ूक़*

*बीवी के हुक़ूक़*

* अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क़ुरान मुक़द्दस में इरशाद फरमाता है कि

1. अपनी बीविओं से अच्छा बर्ताव करो

📕 पारा 4,सूरह निसा,आयत 19

2. और औरतों का हक़ शरह के मुआफ़िक जो है उसे अदा करो

📕 पारा 2,सूरह बक़र,228

* और हदीसे पाक में रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि

3. ईमान में सबसे ज़्यादा कामिल वो है जिसके अख़लाक़ अच्छे हों और अपनी बीवी के साथ नरमी बरते

📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 1,सफह 138
📕 मिश्क़ात,जिल्द 2,सफह 282

4. औरत टेढ़ी पसली से पैदा की गई है लिहाज़ा उसको एकदम सीधा करने की कोशिश करोगे तो तोड़ दोगे तो ऐसे ही टेढ़ी रखकर उससे फायदा उठाओ

📕 बुखारी,जिल्द 2,सफह 779

5. औरत के ये 4 हक़ हैं जिसे शौहर को अदा करना है

! जिस हैसियत का खाना खुद खाये वैसा ही अपनी बीवी को खिलाए
! जिस हैसियत का कपड़ा खुद पहने वैसा ही उसे भी पहनाए
! रहने का मकान हस्बे हैसियत हो
! और उसकी ज़रुरत (हमबिस्तरी) पूरी करता रहे

📕 अबु दाऊद,सफह 291
📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 5,सफह 907

*शौहर के हुक़ूक़*

6. मर्द अफसर यानि हाकिम हैं औरतों पर

📕 पारा 5,सूरह निसा,आयत 34

* एक शौहर का अपनी बीवी पर इतना बड़ा हक़ है कि उसको समझने के लिए ये एक ही हदीसे पाक काफी है हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि

7. अगर ख़ुदा के सिवा किसी को सजदा जायज़ होता तो मैं औरतों को हुक्म देता की अपने शौहरों को सजदा करें और ख़ुदा की कसम कोई औरत ख़ुदा का हक़ अदा नहीं कर सकती जब तक कि अपने शौहर का हक़ न अदा कर ले

📕 इब्ने माजा,सफह 133

8. जिस औरत को मौत ऐसी हालत में आये की उसका शौहर उससे राज़ी हो तो वो जन्नती है

📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 1,सफह 138

9. कोई औरत बगैर शौहर की मर्ज़ी के हरगिज़ नफ्ल रोज़ा न रखे अगर रखेगी तो गुनाहगार होगी और हरगिज़ उसकी मर्ज़ी के बिना घर ना छोड़े वरना जब तक कि पलट कर ना आएगी इन्सो जिन्न के सिवा अल्लाह की तमाम मख़लूक़ उसपर लानत करेगी

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 197

10. बेहतरीन औरत वो है जो हमेशा अपने शौहर को खुश रखे और शौहर जो हुक्म दे उसे पूरा करे

📕 निसाई,जिल्द 2,सफह 60

11. औरत का अपने शौहर की नाफरमानी करना गुनाहे कबीरा है बग़ैर शौहर को राज़ी करे व बग़ैर तौबा के हरगिज़ माफ़ न होगी

📕 किताबुल कबायेर,सफह 291

*कहते हैं कि अक़्लमंद को इशारा ही काफी होता है इसी को सामने रखकर ये चन्द जुमले क़ुरानों हदीस से बयान कर दिए,मौला तआला से की दुआ है कि मुआशरे की इस वक़्त की सबसे बड़ी खराबी को दूर फरमा दे और जिन मियां बीवी में न इत्तेफाक़ी हो उसे इत्तेफ़ाक़ और मुहब्बत में बदल दे-आमीन आमीन आमीन या रब्बुल आलमीन बिजाहिस सय्यदिल मुरसलीन सल्ललाहो तआला अलैहि वसल्लम*

Friday 3 March 2017

शादी हिस्सा-4, आदाबे जिमअ



 *हिस्सा-4*

                            *शादी*



*आदाबे जिमअ*

मियां बीवी के ताल्लुक़ से कुछ ऐसे मसले मसायल हैं जिनका जानना उनको ज़रूरी है मगर वो नहीं जानते,क्यों,क्योंकि दीनी किताब हम पढ़ते नहीं और आलिम से पूछने में शर्म आती है मगर अजीब बात है कि मसला पूछने में तो हमें शर्म आती है मगर वही ग़ैरत उस वक़्त मर जाती है जब दूल्हा अपने दोस्तों को और दुल्हन अपनी सहेलियों को पूरी रात की कहानी सुनाते हैं,खैर ये msg सेव करके रखें और अपने दोस्तों और अज़ीज़ो में जिनकी शादियां हों उन्हें तोहफे के तौर पर ये msg सेंड करें

* हज़रत इमाम गज़ाली रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि जिमअ यानि सोहबत करना जन्नत की लज़्ज़तों में से एक लज़्ज़त है

📕 कीमियाये सआदत,सफह 496

* हज़रत जुनैद बग़दादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि इंसान को जिमअ की ऐसी ही ज़रूरत है जैसी गिज़ा की क्योंकि बीवी दिल की तहारत का सबब है

📕 अहयाउल उलूम,जिल्द 2,सफह 29

* हदीसे पाक में आता है कि जिस तरह हराम सोहबत पर गुनाह है उसी तरह जायज़ सोहबत पर नेकियां हैं

📕 मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 324

* उम्मुल मोमेनीन सय्यदना आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु तआला अंहा से मरवी है कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जब एक मर्द अपनी बीवी का हाथ पकड़ता है तो उसके नामये आमाल में एक नेकी लिख दी जाती है और जब उसके गले में हाथ डालता है तो दस नेकियां लिखी जाती है और जब उससे सोहबत करता है तो दुनिया और माफीहा से बेहतर हो जाता है और जब ग़ुस्ले जनाबत करता है तो पानी जिस जिस बाल पर गुज़रता है तो हर बाल के बदले एक नेकी लिखी जाती है और एक गुनाह कम होता जाता है और एक दर्जा बुलंद होता जाता है

📕 गुनियतुत तालेबीन,सफह 113

* हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से एक शख्स ने अर्ज़ किया कि मैंने जिस लड़की से शादी की है मुझे लगता है कि वो मुझे पसंद नहीं करेगी तो आप फरमाते हैं कि मुहब्बत खुदा की तरफ से होती है और नफरत शैतान की तरफ से तो ऐसा करो कि जब तुम पहली बार उसके पास जाओ तो दोनों वुज़ु करो और 2 रकात नमाज़ नफ्ल शुकराना इस तरह पढ़ो कि तुम इमाम हो और वो तुम्हारी इक़्तिदा करे तो इन शा अल्लाह तुम उसे मुहब्बत और वफा करने वाली पाओगे

📕 गुनियतुत तालेबीन,सफह 115

* नमाज़ के बाद शौहर अपनी दुल्हन की पेशानी के थोड़े से बाल नर्मी और मुहब्बत से पकड़कर ये दुआ पढ़े अल्लाहुम्मा इन्नी असअलोका मिन खैरेहा वखैरे मा जबलतहा अलैहे व आऊज़ोबेका मिन शर्रेहा मा जबलतहा अलैह तो नमाज़ और इस दुआ की बरकत से मियां बीवी के दरमियान मुहब्बत और उल्फत क़ायम होगी इन शा अल्लाह

📕 अबु दाऊद,सफह 293

* खास जिमा के वक़्त बात करना मकरूह है इससे बच्चे के तोतले होने का खतरा है उसी तरह उस वक़्त औरत की शर्मगाह की तरह नज़र करने से भी बचना चाहिये कि बच्चे का अंधा होने का अमकान है युंही बिल्कुल बरहना भी सोहबत ना करें वरना बच्चे के बे हया होने का अंदेशा है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 46

* हमबिस्तरी के वक़्त बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़ना सुन्नत है मगर याद रहे कि सतर खोलने से पहले पढ़ें और सबसे बेहतर है कि जब कमरे में दाखिल हो तब ही बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर दायां क़दम अन्दर दाखिल करें अगर हमेशा ऐसा करता रहेगा तो शैतान कमरे से बाहर ही ठहर जाएगा वरना वो भी आपके साथ शरीक होगा

📕 तफसीरे नईमी,जिल्द 2,सफह 410

* आलाहज़रत फरमाते हैं कि औरत के अंदर मर्द के मुकाबले 100 गुना ज़्यादा शहवत है मगर उस पर हया को मुसल्लत कर दिया गया है तो अगर मर्द जल्दी फारिग हो जाये तो फौरन अपनी बीवी से जुदा ना हो बल्कि कुछ देर ठहरे फिर अलग हो

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 183

* जिमअ के वक़्त किसी और का तसव्वुर करना भी ज़िना है और सख्त गुनाह और जिमअ के लिए कोई वक़्त मुकर्रर नहीं हां बस इतना ख्याल रहे कि नमाज़ ना फौत होने पाये क्योंकि बीवी से भी नमाज़ रोज़ा एहराम एतेकाफ हैज़ व निफास और नमाज़ के ऐसे वक़्त में सोहबत करना कि नमाज़ का वक़्त निकल जाये हराम है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 1,सफह 584

* मर्द का अपनी औरत की छाती को मुंह लगाना जायज़ है मगर इस तरह कि दूध हलक़ से नीचे ना उतरे ये हराम है लेकिन ऐसा हो भी गया तो तौबा करे मगर इससे निकाह पर कोई फर्क नहीं आता

📕 दुर्रे मुख्तार,जिल्द 2,सफह 58
📕 फतावा रज़वियह,जिल्द ,सफह 568

* मर्द व औरत को एक दूसरे का सतर देखना या छूना जायज़ है मगर हुक्म यही है कि मक़ामे मख़सूस की तरफ ना देखा जाये कि इससे निस्यान का मर्ज़ होता है और निगाह भी कमज़ोर हो जाती है

📕 रद्दुल मुख्तार,जिल्द 5,सफह 256

* मर्द नीचे हो और औरत ऊपर,ये तरीका हरगिज़ सही नहीं है इससे औरत के बांझ हो जाने का खतरा है

📕 मुजरबाते सुयूती,सफह 41


* मर्द नीचे हो और औरत ऊपर,ये तरीका हरगिज़ सही नहीं है इससे औरत के बांझ हो जाने का खतरा है

📕 मुजरबाते सुयूती,सफह 41

* फरागत के बाद मर्द व औरत को अलग अलग कपड़े से अपना सतर साफ करना चाहिए क्योंकि दोनों का एक ही कपड़ा इस्तेमाल करना नफरत और जुदायगी का सबब है

📕 कीमियाये सआदत,सफह  266

* एहतेलाम होने के बाद या दूसरी मर्तबा सोहबत करना चाहता है तब भी सतर धोकर वुज़ु कर लेना बेहतर है वरना होने वाले बच्चे को बीमारी का खतरा है

📕 क़ुवतुल क़ुलूब,जिल्द 2,सफह 489

* ज़्यादा बूढ़ी औरत से या खड़े होकर सोहबत करने से जिस्म बहुल जल्द कमज़ोर हो जाता है उसी तरह भरे पेट पर सोहबत करना भी सख्त नुकसान देह है

📕 बिस्तानुल आरेफीन,सफह 139

* जिमअ के बाद औरत को दाईं करवट पर लेटने का हुक्म दें कि अगर नुत्फा क़रार पा गया तो इन शा अल्लाह लड़का ही होगा

📕 मुजरबाते सुयूती,सफह 42

* जिमअ के फौरन बाद पानी पीना या नहाना सेहत के लिए नुकसान देह है हां सतर धो लेना और दोनों का पेशाब कर लेना सेहत के लिए फायदे मंद है

📕 बिस्तानुल आरेफीन,सफह 138

* तबीब कहते हैं कि हफ्ते में दो बार से ज़्यादा सोहबत करना हलाकत का बाईस है,शेर के बारे में आता है कि वो अपनी मादा से साल में एक मर्तबा ही जिमअ करता है और उसके बाद उस पर इतनी कमजोरी लाहिक़ हो जाती है अगले 48 घंटो तक वो चलने फिरने के काबिल भी नहीं रहता और 48 घंटो के बाद जब वो उठता है तब भी लड़खड़ाता है

📕 मुजरबाते सुयूती,सफह 41

* औरत से हैज़ की हालत में सोहबत करना जायज नहीं अगर चे शादी की पहली रात ही क्यों ना हो और अगर इसको जायज़ जाने जब तो काफिर हो जायेगा युंही उसके पीछे के मक़ाम में सोहबत करना भी सख्त हराम है

📕 बहारे शरीयत,हिस्सा 2,सफह 78

* मगर हैज़ की हालत में वो अछूत भी नहीं हो जाती जैसा कि बहुत जगह रिवाज है कि फातिहा वगैरह का खाना भी नहीं बनाने देते ये जिहालत है,बल्कि उसके साथ सोने में भी हर्ज नहीं जबकि शहवत का खतरा ना हो वरना अलग सोये

📕 फतावा मुस्तफविया,जिल्द 3,सफह 13

* क़यामत के दिन सबसे बदतर मर्द व औरत वो होंगे जो अपनी राज़ की बातें अपने दोस्तों को सुनाते हैं

📕 मुस्लिम,जिल्द 1,सफह 464

* औरत से जुदा रहने की मुद्दत 4 महीना है इससे ज़्यादा दूर रहना मना है

📕 तारीखुल खुलफा,सफह 97

* आलाहज़रत फरमाते हैं कि हमल ठहरने से रोकने के लिए दवा या कोई और तरीका इस्तेमाल करना या हमल ठहरने के बाद उसमें रूह फूकने की मुद्दत 120 दिन है तो अगर किसी उज़्रे शरई मसलन बच्चा अभी छोटा है और ये दूसरा बच्चा नहीं चाहता तो हमल साकित करना जायज़ है मगर रूह पड़ने के बाद हमल गिराना हराम और गोया क़त्ल है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 524

* अगर तोगरे में क़ुरान की आयत लिखी है तो जब तक उस पर कोई कपड़ा ना डाला जाए उस कमरे में सोहबत करना या बरहना होना बे अदबी है हां क़ुरान अगर जुज़दान में है तो हर्ज नहीं युंही किबला रु होना भी मना है

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 522

* जो बच्चा समझदार हो उसके सामने सोहबत करना मकरूह है

📕 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 14

* किसी की दो बीवियां हैं अगर चे उसका किसी से पर्दा नहीं मगर औरत का औरत से पर्दा है तो एक के सामने दूसरे से सोहबत करना जायज़ नहीं

📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,सफह 207