Tuesday 30 August 2016

🏽ईमान का हिस्सा, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 06, बरकाते शरीअत पोस्ट -014

बरकाते शरीअत पोस्ट -014
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 06

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

           👇🏽ईमान का हिस्सा👇🏽

अबूमालिक अशअरीرَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه
से रवायत है की हुजूरصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
ने इरशाद फ़रमाया अच्छी तरह वुजु करना
ईमान का आधा हिस्सा है।
📚 ( इब्ने माज़ा : 1/24 )

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो !  इस हदीस में इस्बागुल वुजु से
मुराद वुजुके तमाम फ़र्ज़, सुनन व मुस्तहबात
को अच्छी तरह से अदा करना है और तमाम
मकरुहात से  बचते  हुए  वुजु करना है।  इस
हदीस  में  वुजु  को  ईमान का  आधा  हिस्सा
फर्माया गया, उसकी वजह मुहद्दिसीने किराम
ने यह बयान फ़रमाई है  कि ईमान बातिन को
पाक कर देता है और वुजु जाहिर को पाक कर
देता है लिहाजा वुजु को ईमान का आधा हिस्सा
करार दिया गया है।

फुकहाए किराम ने फ़रमाया है कि इस हदीस
का एक मअना यह भी है कि अच्छी तरह वुजु
करने का अज्र बढ़कर निस्फ़ ईमान तक पहूंच
जाता है। इसका दूसरा माना यह है कि ईमान
लाने से पहले के गुनाह ईमान लाने से मिट जाते है
इसी तरह वुजु से पहले के गुनाह वुजु से मिट
जाते है लेकिन ईमान के बगैर वुजु नही होता
इस लिये फ़रमाया वुजु निस्फ़ ईमान है।

तीसरा मअना है कि ईमान से मुराद नमाज़ है,
जैसा कि क़ुरआने मजीद में है  "तर्जुमा इस
आयत में ईमान से मुराद नमाज़ है और चूंकि
सेहते नमाज़ के लिये तहारत शर्त है इस लिये
तहारत नमाज़ के  लिये बमन्जिल -ए-जुज है
इस लिये फ़रमाया  वुजु निस्फे ईमान है यानी
नमाज़ का जुज है। इस की एक वजह यह भी
हो  सकती है  कि  तस्दीक  बिल-कल्ब  और
इताअते जाहिरा  दोनों  ईमान के जुज है और
तहारत  ईमान  को   मुतजम्मिन  है   जो  कि
इताअते जाहिरा है  इस एतिबार से  फ़रमाया
वुजु निस्फ़ ईमान है।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.88
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

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🏽हौज़े कौसर पर इस्तिक़्बाल, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 05, बरकाते शरीअत पोस्ट -013

बरकाते शरीअत पोस्ट -013
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 05

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

   👇🏽हौज़े कौसर पर इस्तिक़्बाल👇🏽
हजरत अबू हुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से
रवायत है  कि हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
एक कब्रस्तान में  तशरीफ़ लाये  और इरशाद
फ़रमाया "तुम पर सलामती हो ए मोमिनों
के  घर  और  हम  इन्शा अल्लाह !  तुम से
मिलने वाले  है,  मुझे  अपने  भाइयों  की
जियारत से मुसर्रत हुई "सहाबाने अर्ज़ किया
या रसूलल्लाह ! क्या हम आपके भाई नहीं ?
आपने  फ़रमाया, तुम  मेरे साथी हो, हमारे
भाई वो है जो बादमें आने वाले है, सहाबा
ने अर्ज़ किया कि आपकी उम्मत में  जो लोग
बादमें आनेवाले है उनको आप कैसे पहचानेंगे
आपने फरमाया अगर कोई शख्स ऐसा हो
कि जिसके चमकदार रंगवाले खच्चर हो,
सियाह रंगवाले खच्चरों के दरमियान, तो
क्या  वह अपने  खच्चर को नहीँ पहचान
सकेगा ?  लोगो ने  अर्ज़ किया  क्यों नहीं या
रसूलल्लाह  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  आपने
फर्माया वेलोग कयामत में इस तरह आऐगे
कि आसारे वुजु से  उनके आजा चमकते
होंगे।  और  मैं  हौज़े  कौसर  पर  उन का
इस्तिक़्बाल करूंगा।

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो !  कितना खुश नसीब होगा वह
शख्स  कि अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ के प्यारे रसूल صَلَّى  اللّٰه ُ عَلَئه ِٖ وَسَلَّم  हौज़े  कौसर  पर
जिसका  इस्तिक़्बाल करे  और यह फ़ज़ीलत
कैसे हासिल होगी, वुजु करने की वजहसे कि
आसारे वुजु से  जब अअजा चमकते होंगे तो
हुजूरصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمपहचान लेंगेकि
यह मेरी उम्मत का ऐसा शख्स है जो पंजवक़्ता
नमाज़ों के लिये वुजु किया करता था। लिहाजा
हर नमाज़ के लिये मस्जिद में हाजिर हो जाएं
और हमेशा बावुजु रहने की कोशिश करें ताकि
कयामत  के  दिन  हौज़े  कौसर  पर  सरकारे
मदीनाصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمके इस्तिक़्बाल
के हक़्दार हो सकें। 

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.88
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

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Saturday 27 August 2016

अपनी चमक ज्यादा करो, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 04, बरकाते शरीअत पोस्ट -012

बरकाते शरीअत पोस्ट -012
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 04

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

      👇🏽 अपनी चमक ज्यादा करो 👇🏽

वुजु की  बरकत से  कयामत के दिन आजाए
वुजु चमकते होंगे। और जो लोग अच्छी तरह
वुजु  करते है  और  हमेशा  बा वुजु  रहने  के
आदि है  वह आसानी से पहचाने  जा सकेंगे
इस सिलसिले में हजरत अबूहुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔهसे रवायत है कि हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم इरशाद फरमाते है : " कयामत
के दिन  मेरी उम्मत  इस हालत में  बुलाई
जायेगी कि  मुंह और  हाथ, पांव  आसारे
वुजु से  चमकते होंगे  तो जिससे हो सके
चमक ज्यादा करे। "
📚 (मिश्कात शरीफ : 39)

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो इस हदीस में इस बात की वजाहत
है कि जो शख्स  वुजु करेगा कयामत के दिन
उसके आजाए वुजु की वजह से चमकते होंगे
और हुजूरصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمने फर्माया
कि  जिस से मुमकिन  हो  वह अपनी  चमक
ज्यादा करे।  इसका मतलब यह है कि हमेशा
बा वुजु रहे  और  हर नमाज़ के वक़्त  अगर्चे
वुजु हो दोबारा वुजु कर लिया करे जो शख्स
जितनी ज्यादा मर्तबा वुजु करेगा उसके आजा
उतने  ही  ज्यादा  चमकते  होंगे।  या  इसका
मतलब यह है कि आजाए वुजु जितना धुलने
का हुकम है उससे ज्यादा धुले जाए जैसा की
दूसरे मक़ाम पर हजरत अबूहुरैराرَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से रवायत कि  हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया "मोमिन के
वुजु का पानी जहां-जहां पहुंचेगा वहांतक
उसके उज्वको मुजैयन करदिया जायेगा"
📚 (मिश्कात शरीफ : 39)

लिहाजा कोशिश करें कि  हमेशा  बा वुजु रहें
और  हर नमाज़ के  लिये  वुजु  पर  वुजु कर
लिया करें ताकि कयामत के दिन उन लोगों की
फेहरिस्त में  शामिल हो सकें  जिनके  आजा
आसारे वुजु से चमकते होंगे,

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.86
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

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Thursday 25 August 2016

🏽 गुनाह झड़ते है, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 03, बरकाते शरीअत पोस्ट -011

बरकाते शरीअत पोस्ट -011
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 03

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

          👇🏽 गुनाह झड़ते है 👇🏽
जो बन्दा वुजु करता है तो वुजु की बरकत से
उस के  बदन से  गुनाह  झड़ जाते है,  चुनांचे
हजरत  उस्मान  رَضِىَ اللّٰهُ  تَعَالٰى عَنٔه  ने
कहा कि  हुजूर  صَلَّى اللّٰهُ  عَلَئهِٖ وَسَلَّم  ने
इरशाद फ़रमाया : जो  शख्स  अच्छी  तरह
वुजु करे तो उसके गुनाह उसके जिस्म से
निकल   जाते  हैं   यहां  तक कि   उस के
नाखूनों के निचे से भी निकल जाते हैं।
📚 ( अनवारुल हदीस : 132 )

हजरत अब्दुल्लाह सनाबही ने
रसूलुल्लाह  صَلَّى  اللّٰهُ  عَلَئه ِٖ وَسَلَّم  से
रवायत की है  कि आपने फ़रमाया जो कोई
वुजु करे  और कुल्ली  और नाक में पानी
चढ़ाए तो उसके नाक और मुंह से उस के
गुनाह निकल  जाते है  और  जब  अपना
चेहरा धुलता है  तो उसके चेहरे से  गुनाह
निकल जाते है, यहा तक कि उसकी आखों
के किनारों से भी निकल जाते है
जब वह अपने  हाथ धुलता है  तो उस के
गुनाह उसके हाथों से निकल जाते है फिर
जब वह अपने सर का मसह करता है तो
उसके गुनाह उसके सरसे निकल जाते है
यहां तक कि उसके कानों से निकल जाते है
फिर जब वो अपने पैर धुलता है तो उसके
गुनाह उस के  पैर से निकल जाते है यहाँ
तककी पैरों के नाखूनों से भी निकल जाते
हैं  और उस की नमाज़ और उस मस्जिद
तक चलना उस के लिये मजीद सवाब व
बुलंदीए दरजात का बाइस होता है।
📚 ( इब्ने माज़ा : 1/24-25 )

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! इस हदीस में गुनाह के झड़ने का
जो  जिक्र है। उस से  मुराद गुनाहे  सगाइर है
क्यो की कबाइर तौबा के जरिये माफ़ होते है।
अलबत्ता  जिन के  गुनाह  सगाइर  नही  होते
सिर्फ गुनाह कबाइर होते है तो वुजु करने की
बरकत  से   उन  के   कबाइर  में   तख़फ़ीफ़
होजाती है और जिनके सगाइर-कबाइर दोनों
गुनाह नही होते तो अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ अपने
फज्लो -करम से  उन के  दरजात  को  बुलंद
फरमा देता है।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.85
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
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Sunday 21 August 2016

मेरी सुन्नत लाजिम पकड़ो, इत्तेबाऐ सुन्नत पर अहादीस पार्ट 03, बरकाते सुन्नते रसूल पोस्ट -011

बरकाते सुन्नते रसूल पोस्ट -011
👉🏽 इत्तेबाऐ सुन्नत पर अहादीस पार्ट 03

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

    👇🏽 मेरी सुन्नत लाजिम पकड़ो👇🏽

हजरत इरबाजرَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔهफ़र्माते
है : एक दिन हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने
हमे नमाज़ पढाई, फिर हमारी तरफ मुतवज्जोह
होकर हमें ऐसा वअज फर्माया कि आँखे डूब
डुबा गई और दिल दहल गये।  एक शख्स ने
अर्ज की: या रसूलल्लाह ﷺ ! मुझे ऐसा लगता है
कि यह अलविदाई ख़िताब है इस वक़्त आप
हमसे क़्या वअदा लेंगे? आपने इर्शाद फर्माया
मैं तुम्हे  अल्लाह  के  ख़ौफ़  की  वसियत
करता हूं और (अमीर की बात) सुन्ने और
(इसकी) पैरवी करने की, अगर्चे वह हबशी
गुलाम हो। इस लिये कि मेरे बाद जो लोग
आने वाले है  वह बहुत सारे  इख़्तेलाफत
देखेंगे, तो तुमपर लाजिम है कि मेरी और
मेरे बाद  मेरी जानशीनी इख़्तियार  करने
वाले  खुलफाए  राशिंदीन  के  तरीके  पर
अमल करो,  उन्हें  मजबूती से  थामे रखो
नए मुआमलात से बचते रहो क्यो कि हर
नया मुआमल बिदअत है और हर बिदअत
गुमराही है।
मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो !  इस  रिवायत में  हमें  सरकारे
मदीना صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने ये वसियत
फ़रमाई की हम अपनी जिन्दगी का आईडियल
हुजूर रहमते आलम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
और  आपके खुलफाए राशिदीन को  बनायें।
सिर्फ इतनाही नही बल्कि हुक्म हुआ कि इसे
मजबूती के साथ पकड़े रखें और उनका दामन
हमारे  हाथों से  कभी  न छुटने पाए,  हम हर
काम  उनके तरीके  पर करें।  इस रिवायत में
जहां  सुन्नत पर मजबूती से  काइम रहने का
हुक्म  हुआ  है  वहीं  नौपैद  मुआमलात  जो
क़ुर्आन व हदीस से हटकर हो, उनसे सख्तीके
साथ बचने का भी हुक्म दिया गया, इस लिये
कि ऐसे नौपैद मुआमलात गुमराही की तरफ
ले जाने वाले है।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते सुन्नते रसूल स.72
               -: हस्बे फरमाइश :-
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
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Saturday 20 August 2016

क्या आप हमारे नबी सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम के बारे में जानते है ?

क्या आप हमारे नबी  के बारे में जानते है ?




हमारे नबी सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम का नाम-
हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम
___________________
हुज़ूर के वालीद/ वालदा का नाम-
/हज़रत अब्दुल्लाह
/हज़रत आमिना
____________________
हुज़ूर के दादा और नाना का नाम-
/हज़रत अब्दुल मुत्तलिब
/हज़रत वहब
______________________
हुज़ूर की पैदाईश का दिन-
१२ रबिउल अव्वल (२० अप्रैल 571 ई.)
असहाबे फ़ील के वाकिआ से ५५ दिन बाद
_______________________
हुज़ूर ने बचपन मे
/हज़रते सुवैबा
/हज़रत आमिना
/हज़रते हलिमा का दुध पिया
____________________
हुज़ूर की बिवीयो के नाम जो हर
मुसलमान की माँ है।-
/हज़रते ख़दीजा
/हज़रते सौदह
/हज़रते आईशा
/हज़रते हफ्सा
/हज़रते उम्मे सल्मा
/हज़रते उम्मे हबिबा
/हज़रते ज़ेनब
/हज़रते ज़ेनब बिन्ते खुज़ेमा
/हज़रते मैमुना
/ हज़रते जुवेरिया
/हज़रते सफ़िय्या रदियल्लाहु तआलाअन्हा
_____________________
हुज़ूर के दो साहबज़ादो के नाम –
जिनका विसाल बचपन ही मे हो गया था।
/हज़रते क़ासीम
/हज़रते इबराहीम
____________________________
हुज़ूर की चार साहिबज़ादीयो के नाम-
/हज़रते ज़ेनब
/हज़रते रूकय्या
/हज़रते उम्मे कुलसूम
/हज़रते फातिमा
_____________________
हुज़ूर के १२ चाचाओ के नाम-
/हारिस
/अबू तालिब
/जुबैर
/हम्ज़ा
/अब्बास
/अबू लहब
/गैदान
/मुकव्विम
/ज़िरार
/कुसम
/अब्दुल कअब
/जहल।
(इनमे से सिर्फ हज़रते हम्जा व हज़रते अब्बास ने इस्लाम क़बूल किया ।)
_____________________
हुज़ूर के 3 नवासो के नाम-
/हज़रत इमाम हसन
/हज़रत इमाम हुसैन
/हज़रत इमाम मोहसिन-
हुज़ूर के 3 नवासीयो के नाम-
/हज़रते ज़ैनब
/हज़रते उम्मे कुल्सुम
/हज़रते रूकय्या
(हज़रते मोहसिन व हज़रते रूकय्या का
विसाल बचपन मे हो गया था )
____________________
हुज़ूर की 6 फूफ़ियो के नाम-
/हज़रते सफिय्या
/अतिका
/उमेमा
/उम्मे हकिम
/बर्रह
/अरवI
(इनमे सिर्फ हज़रते सफिय्या इमान लाई)
____________________
हुजूर के खुददामे खास के नाम-
/हज़रत अनस
/हज़रत रबिआ
/हज़रत ऐमन
/हज़रत अब्दुल्लाह
/हज़रत उक्बा
/हज़रत अस्लअ
/हज़रत अबुज़र गिफारी
/हज़रत मुहाजिर मौला
/हज़रत हुनैन
/हज़रत नुएम
/हज़रत अबुल ह़मर
/हज़रत अबुस्समह़
—————————–
दरबारे नुबूवत के ख़ास नात ख़्वा के नाम-
/हज़रते कअब बिन मालिक
/हज़रत अब्दुल्लाह बिन र वाहा
/हज़रत हस्सान
—————————–
हुजूर के खुसूसी 4 मुअज़्जिन के नाम-
/हज़रते बिलाल
/हज़रतअब्दुल्लाह
/हज़रत सअद बिन आएद
/हज़रते अबू महज़ुरा
—————————–
हुजूर ने किन सहाबी को कोनसी
मस्जिद जलाने का हुक्म दिया-
/मस्जिदे ज़रार
जो मुनाफिको, गुमराहो न बनाई थी मुसलमानो को बहकाने के लिये
/हज़रते मालिक
/हज़रते मअन को मस्जिदे ज़रार को जलाने का हुक्म दिया था़
(इस के बारे सुरह तौबा आयत 107 मे आया है )
—————————–
हुजूर के दामादो के नाम-
/हजरत अबूल आस
/हज़रत उस्मान गनी
/हज़रत अली शेरे खुदा
—————————–
हुजूर के ससुर के नाम (जिनकी बेटीयो से आपने निकाह किया)-
/खुवेल्दा बिन असद
/ज़मआ
/हज़रत अबू बकर सिद्दिक
/हज़रत उमर फारूक
/हुजैफा
/अबू सुफयान
/हारिस
/हारिस बिन ज़रार
/हुय्यि बिन अख़तब
—————————
क्या मुसलमान ये सब जानते है?
मेसेज आगे भेजना है या नही
ये आपकी मरज़ी ?
हो सके तो थोड़ा वक्त निकाल कर याद करले़.
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रौज़ए रसूल ﷺ पर ह़ाज़िरी

रौज़ए रसूल  पर ह़ाज़िरी
🌹हुज़ूर पुरनूर صَلَّى اللّٰهُ تَعَالٰى عَلَئهِ وَ اٰلِهٖ وَسَلَّم के रौज़ा ए पाक पर ह़ाज़िर होने का ये अहम मसअला ज़ेहन में रखे!

➡जब आप रौज़ए रसूल पर ह़ाज़िर हो जाओ तो वहा अदब का खास तौर पर खयाल रखना क्यूंकि वहां पर आवाज़ को बुलन्द करना भी बे अदबी में शुमार होता हैं!
●•┄─━━━━•▣▣▣•━━━━─┄•●

•–⚀•RєԲ:➻┐📚(बहारे शरीअ़त में हैं:-)

अगर मदीना शरीफ़ की ह़ाज़िरी नसीब हो और रौज़ए मुबारक की ज़ियारत की दौलत मिल जाए तो रौज़े के सामने चार हाथ के फासले से अदब के साथ हाथ बांधकर (जैसे नमाज़ में खड़े होते हैं) खड़ा होकर सर झुकाए हुए सलातो सलाम अ़र्ज़ करे! बहुत क़रीब ना जाए और ना ही इधर उधर देखे और ख़बरदार ख़बरदार कभी आवाज़ बुलन्द ना करना क्यूंकि उम्र भर का सारा किया धरा अकारत (बेकार) जाएगा!
●•┄─━━━━•▣▣▣•━━━━─┄•●

•–⚀•RєԲ:➻┐
               📗(बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा-1)

═════════════════════════
ले सांस भी आहिस्ता के ये दरबारे नबी हैं
खतरा हैं बहुत सख़्त यहां बे अदबी का
═════════════════════════

➡अक्सर कुछ लोगों को देखा गया हैं कि वो जब मदीना मुनव्वरा जाते हैं और रौज़ए रसूल पर ह़ाज़िर होते हैं तो वहां अदब का खास ख़याल नही करते!
उस मुक़द्दस दरबार में ह़ाज़िर होने वाले बताते हैं की जहां उस दरबार का अदब करना बहुत बहुत ज़रूरी हैं वहां कुछ लोग बे अदबी से बाज़ नही आते हैं और आज के दौर की सबसे बड़ी बे अदबी मोबाइल के ज़रीए से हो रही हैं!
कोई अपने या अपने साथ वालों के फोटो ले रहा हैं तो कोई अपनी Selfie लेने में इस क़दर मश्गूल हो जाता हैं कि उसे ये भी ख़याल नही रहता कि वो रौज़ा ए मुबारक की त़रफ़ बे वजह पीठ करके खडा हैं, और कोई वहां पर बे अदबी से पैर पसारे लेट जाता हैं तो कोई बे अदबी से बैठा होता हैं, अल्लाह عَزَّوَجَلَّ ख़ैर करे!

➡मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के प्यारे दीवानो !  रौज़ए मुबारक पर हाज़िरी की सआ़दत ज़िन्दगी में बार बार नही मिलती!
उस पाक जगह पर जाकर फ़ुज़ूल कामों में वक़्त गंवाकर बे अदबों में शुमार होने के बजाए उन मुक़द्दस लम्हों में दुरूदो सलाम अ़र्ज़ करे और अपने और अपने अहलो इयाल के लिए दुआ़ए कर के अपनी आखिरत सवारें!

═════════════════════════
अरे ओ ना समझ कुरबान हो जा उनके रौज़े पर
ये लम्हें ज़िन्दगी में बार बार आया नही करते
═════════════════════════

➡ह़ाजियों से ये मुअद्दबाना इल्तिजा हैं कि आप जब भी मदीना मुनव्वरा पहुंचे तो रौज़ा ए पाक पर ह़ाज़िर होकर वहां पर रो रोकर उम्मते मुस्लिमा के ह़क़ में दुआ़ करे!
और हमको भी अपनी मख़्सूस दुआ़ओं में याद रखे!
👏🏼अल्लाह عَزَّوَجَلَّ तमाम हाजियों का ह़ज क़बूल फ़रमाए!
🌺आमीन🌺

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नमाज़ की कुंजी, जन्नत के आठ दरवाजे, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 02, बरकाते शरीअत पोस्ट -010

बरकाते शरीअत पोस्ट -010
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 02

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ
          👇🏽 नमाज़ की कुंजी 👇🏽
हजरत जाबिर  رَضِىَ  اللّٰه ُ تَعَالٰى عَنٔه  से
रवायत है कि हुजूरصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمने
इर्शाद फ़रमाया जन्नत की कुंजी नमाज़ है
और नमाज़ की कुंजी वुजु है।

 👇🏽 जन्नत के आठ दरवाजे 👇🏽
हजरत उक़बा बिनआमिरرَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه  से  रवायत  है  कि  मैंने  हुजूर  नबी  ए
करीम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم को ये फ़र्माते
हुए सुना है  कि  जिसने  अच्छी  तरह वुजु
किया  फिर उसने  खड़े  होकर  इस तरह
नमाज़ पढ़ी  कि उसको इल्म हो  कि  वह
नमाज़ में क्या पढ़ रहा है तो वह उस दिन
की  तरह  (गुनाहों  से साफ)  हो  जायेगा
जिस दिन वह अपनी मां के बतन से पैदा
हुआ था।
📚मुसन्नफे इब्नेहुमाम सनआनी:1/45

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! इस हदीस में यह फ़रमाया गया
कि अच्छी  तरह वुजु  करके दिल को हाजिर
रखते   हुए   नमाज़  अदा   करने  वाले   को
अल्लाह  عَزَّ وَجَلَّ गुनाहों से इस तरह पाक
फरमा देता है जैसे अभी -अभी अपनी मां के
पेट से पैदा हुआ हो।

इसी  तरह  उमर رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه  से
रवायतहै कि हुजूरصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمने
इर्शाद फर्माया: जिस शख्स ने अच्छी तरह
वुजु  किया  फिर  खड़ा  होकर  इस तरह
नमाज़ पढ़ी कि उस को  इल्म हो  कि वह
नमाज़ में  क्या  पढ़  रहा  है,  फिर  उसने
         ☄اَشْھَدُ  اَن ْ لَّا اِلَّااللّٰہُ
    وَاَشْھَدُاَنَّ مُحَمَّداً عَبْدُہُ وَرَسُوْلُہُ☄
पढ़ा  तो  उस के  लिये  जन्नत  के  आठों
दरवाजे  खोल   दिये  जाएंगे   वह   जिस
दरवाजे  से   चाहेगा  जन्नत  में   दाखिल
हो जाएगा।
📚मुसन्नफे इब्नेहुमाम सनआनी:1/46

इस हदीससे मुराद यातो येहै कि अत्तहिय्यात
में जो  कलिमा ए शहादत  पढ़ा जाता है उस
वक़्त जन्नत के  दरवाजे खोल दिये  जाते है
या  यह  कि  सलाम फेरने के बाद  कलिम ए
शहादत  पढ़ने से  जन्नत के  आठों  दरवाजे
खोल दिये जाते है।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.84
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
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वह हिदायत पाया, इत्तेबाऐ सुन्नत पर अहादीस पार्ट 02, बरकाते सुन्नते रसूल पोस्ट -010

👉🏽 बरकाते सुन्नते रसूल पोस्ट -010
👉🏽 इत्तेबाऐ सुन्नत पर अहादीस पार्ट 02

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ


        👇🏽 वह हिदायत पाया👇🏽
हजरत अबूअमरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से
रवायत है कि हुजूरصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمने
इरशाद फर्माया: " जो मेरी सुन्नत की तरफ
चुस्ती  करे  वह  हिदायत  पाया  और जो
इसके अलावा किसी दूसरी जानिब चुस्ती
करे वह हलाक हुआ। "
📚 मुसनद अल-हारिस, हि 1 स: 342

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो! आज अगर हम कौमे मुस्लिमके
हालात का जाइजा ले  तो हमें अन्दाजा होगा
की हमारी कौम हलाकत और बर्बादी के दहाने
पर पहूंच चुकी है।  इस हदीस में फरमा दिया
गया की  अगर  सही रास्ते की  तलाश है  तो
सुन्नते  रसूल   अपनाना  होगा   और   अगर
सुन्नते  रसूल  छोड़ कर किसी और रास्ते पर
चलनेकी कोशिश करोगे तो यकीनन हलाकत
में पड जाओगे। पता चला अगर हम परेशान
हाल है तो इसकी वजह सुन्नतोंसे हमारी दुरी
है, अगर आज हम बर्बाद हो रहे है तो इसकी
वजह तरीकए मुस्तफा से दुरी है।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते सुन्नते रसूल स.71
               -: हस्बे फरमाइश :-
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
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Thursday 18 August 2016

वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 01, 🏽वुजु के फ़ज़ाइल व मसाइल, बरकाते शरीअत पोस्ट -009

 *बरकाते शरीअत पोस्ट -009*
👉🏽 *वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 01*


*🔹بسم الله الرحمن الرحيم*
*🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله*
*🔹ﷺ*

    *👇🏽वुजु के फ़ज़ाइल व मसाइल👇🏽*

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ क़ुरआने मुक़द्दस में इर्शाद
फ़र्माता है *"ऐ ईमान वालो ! जब तुम नमाज़*
*पढ़ने का  इरादा करो  तो अपने  मुंह और*
*कुहनियों  तक हाथों को धोओ,  सरों  का*
*मसह करो और  टखनों तक पावं धोओ।*
वुजु नमाज़ के लिये इस हद तक जरूरी है कि
नमाज़ की सेहत वुजु के बगैर मूमकिन ही नही
चुनाचे अबू  हुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه  ने
हुजूर  صَلَّى اللّٰهُ  عَلَئهِٖ  وَسَلَّم  से  रवायत
करते हुए  बयान  फ़रमाया कि  हुजूर रहमते
आलम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने  फ़रमाया
तुम में  से किसी की  नमाज़ कुबूल नही होगी
जब वह मुहद्दस हो जबतक कि वुजु न करले
*📚 (मुस्लिम शरीफ)*
इसी  तरह हजरत  उसामा बिन  उमैर हुजली
से रवायत है, उन्हों ने  कहा कि  हुजूर रहमते
आलम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِ ٖ وَسَلَّم  ने  इरशाद
फ़रमाया *" अल्लाह तआला किसी नमाज़*
*को बगैर तहारत कुबूल नही फ़रमाता। "*
*📚( इब्ने माज़ा : 1/24 )*
मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! हदस दो तरह के है, एक हदसे
अक्बर, दूसरा  हदसे असगर।  हदसे  अक्बर
वो है जिसकी बिना पर गुस्ल वाजिब हो जाता
है जैसे एहतिलाम होना,जिमाअ करना वगैरा
और हदसे असगर वह है  जिस की  वजह से
वुजु टूट जाए जैसे हवा ख़ारिज होना, मुंह भर
कै होना वगैरा। पहली हदीस में जो हदस का
जिक्र है  उस से  मुराद हदसे असगर है  यानी
अगर किसी शख्सका वुजु टूट जाए और वह
वुजु किये बगैर  नमाज़ अदा करे  तो उस की
नमाज़ बारगाहे खुदावंदी में गैर मक़्बूल होती
है क्योंकि नमाज़ के लिये तहारत शर्त है और
जब नमाज़ की सेहत की शर्त ही नही पाई गई
तो  नमाज़  सही  नही  हुई  और  जब नमाज़
सही नही  हुई तो  बारगाहे खुदावंदी में कबूल
भी न हो सकेगी।
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे
*📚हवाला: बरकाते शरीअत स.84*
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  *मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी*
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
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इत्तेबाऐ सुन्नत पर अहादीस पार्ट 01, इत्तेबाए सुन्नत अहादीस की रोशनी मै, बरकाते सुन्नते रसूल पोस्ट -009

 *बरकाते सुन्नते रसूल पोस्ट -009*
👉🏽 *इत्तेबाऐ सुन्नत पर अहादीस पार्ट 01*


*🔹بسم الله الرحمن الرحيم*
*🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله*
*🔹ﷺ*


*इत्तेबाए सुन्नत अहादीस की रोशनी मै*
अहादी से  मुबारक में  भी जगह  जगह हुजूर
रहमते  आलम  صَلَّى اللّٰهُ  عَلَئهِٖ وَسَلَّم  ने
अपनी इत्तेबाअ व  पैरवी नेज अपनी सुन्नतों
पर अमल पैरा होने का हमें हुक्म फ़रमाया है।
उन में से चंद अहादीस मुलाहिजा फरमाये।

        *👇🏽जन्नत में हुजूर के साथ👇🏽*
मोहब्बते रसूल यकीनन एक साहिबे ईमान के
लिये   बड़ी  कामयाबी  की  दलील  है   और
मोहब्बते  रसूल का  सबूत सुन्नतें  रसूल  पर
अमल पैरा  होने से  मिलता है। खुद  सरकारे
मदीना  صَلَّى  اللّٰه ُ عَلَئهِ   ٖ وَسَلَّم  इरशाद
फरमाते है: *तर्जुमा: जिसने मेरी सुन्नत को*
*जिन्दा किया गोया उस ने मुझ से मुहब्बत*
*की और जिस ने मुझ से मुहब्बत की  वह*
*मेरे साथ जन्नत में रहेगा।*
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
*📚हवाला: बरकाते सुन्नते रसूल स.71*
               *-: हस्बे फरमाइश :-*
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  *मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी*
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
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Me Qabar Andheri me Gabraun ga Jab Tanha By Qari Rizwan Khan in Malegaon

Wednesday 17 August 2016

इत्तेबाऐ सुन्नत की जरूरत पार्ट 08, हिदायत का जरिया, बरकाते सुन्नते रसूल पोस्ट -008

 *बरकाते सुन्नते रसूल पोस्ट -008*
👉🏽 *इत्तेबाऐ सुन्नत की जरूरत पार्ट 08*


*🔹بسم الله الرحمن الرحيم*
*🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله*
*🔹ﷺ*
         *👇🏽 हिदायत का जरिया 👇🏽*

हिदायत सही रास्ते को कहते है, जिसे हिदायत
मिल गई उसे अल्लाह की मारिफत मिल गई।
इत्तेबाए रसूल, अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ की मारिफत
का जरिया है।  चुनांचे  फरमाने खुदावंदी है :
*तो ईमान लाओ अल्लाह और उसके रसूल*
*बे  पढ़े  गैब बताने वाले  पर  कि अल्लाह*
*और उस की बातों पर ईमान लाते है और*
*उन की गुलामी करो  कि तुम राह पाओ।*
मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! इस आयत में फरमा दिया गया
अगर हिदायत चाहते हो तो रसूल की इत्तेबाअ
करो, उन की पैरवी करो,  उन की सुन्नतों पर
अमल करो,  उनके अख़लाक़ व  किरदार की
रौशनी में अपनी जिन्दगी गुजारो। अगर ऐसा
करोगेँ तो  हिदायत  पा जाओगे,  सही रास्ता
पा जाओगे, एसा रास्ता जो जन्नत की तरफ
ले जाता है। इसलिये रसूल की पैरवी करो कि
इसी में दीन व दुनिया की भलाई है।
ऊपर गुजरी हुई आयतों के  इलावा और  भी
आयतें है जो इताअते रसूल की फजीलत और
अहमियत को जाहिर करती है और हुक्मेरसूल
से गर्दन मोड़ने पर वईद व अज़ाब सुनाती है।
खुसुसन  इन  आयतों  से  मुदंरजा  जैल  चंद
अहम बातें मालूम होती है।
➡ जिसतरह अल्लाह की इताअत फर्जे ऐन
है उसीतरह हुजूरصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمकी
इताअत भी फर्जे ऐन है।
➡ रसूल की  पैरवी  ईमान की  निशानी है।
रसूलकी पैरवी रहमते खुदावंदी का सबब है।
➡ हुक्मेखुदा व रसूल पहूंचने केबाद उससे
मुंह  मोड़ने  की  कोई  सबील  रवा  नहीं।
➡ क़ुर्आन  व हदीस के एहकाम पर अमल
न करते हुए खलजानमें पड जाना इन्सान को
बुजदिल बना देता है।
➡ इताअते रसूल भी नमाज़ व जकात की
अदायगी  की  तरह  अहम  है।
➡ रसूल की  इत्तेबाअ  करने वाले  के लिये
हमेशगी  की  जन्नत  है।
➡ रसूल की  पैरवी करने वाला  दारैन की
कामयाबी  से  हम  किनार  होता  है।
➡ दुनिया में  रसूल की  इताअत  करने पर
बतौर इनाम मैदाने महशरमें अंबिया, सिद्दीकन
शोहदा, सालेहीन का साथ मयस्सर आता है।
➡ रसूल की  इताअत करना  दर  हक़ीक़त
अल्लाह  की  इताअत  करना  है।
➡ रसूल के  हुक्म से  मुंह मोड़ना  दर्दनाक
अजाब  का  बाइस  है।
➡ रसूल की  इताअत  मुहब्बते  खुदा  की
रौशन दलील है।.....इस लिये हमें हर हाल में
रसूले  आज़म  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  की
इताअत  व  फरमां  बरदारी  करनी  चाहिये।
आपका बताया हुआ रास्ता अपनाना चाहिये।
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
*📚हवाला: बरकाते सुन्नते रसूल स.69*
               *-: हस्बे फरमाइश :-*
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  *मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी*
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
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