Saturday 22 October 2016

🏽वुजू में एहतियात,🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 28, बरकाते शरीअत पोस्ट 36

बरकाते शरीअत पोस्ट 36
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 28
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

          👇🏽वुजू में एहतियात👇🏽
हजरत आइशा  सिद्दीका  رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عنها ने अपने भाई अब्दुल रहमान बिन अबी
बकर को  वुजू  करते  हुए  देखा  तो  कहा :
ऐ अब्दुल रहमान! अच्छी तरह मुकम्मल वुजू
करो क्योंकि हुजूरصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمने
फ़रमाया है :   " खुश्क  एड़ियों  के   लिये
जहन्नम का अजाब है।
📚 ( बुखारी शरीफ : 1/ 125 )

इस तरह  हजरत  जाबिर رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से  रवायत है  कि  हुजूर  नबी  ए करीम صَلَّى اللّٰه ُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  ने  एक  शख्स के
क़दम में  खुश्की देखी  तो फ़रमाया  एड़ियों
के लिये हलाकत का अजाब है।
📚 (शरहे मआनियुल आसार : 1/ 34 )

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم के
प्यारे दीवानो! वुजू करते  वक़्त आजाए वुजू
के धुलने में बेहद एहतियात जरुरी है कि अगर
जिन आजा का धोना फ़र्ज़ है उनमे किसी के
धुलने में एक बालके बराबर भी जगह बाकी
रह  जाए  तो वुजू  न होगा।  सदरुश शरीआ
अल्लामा अमजद  अली رحمت الله عليه
तहरीर फरमाते है कि किसी उज्वके धोने का
यह मअना है  कि उस उज्व के हर हिस्से पर
कम  से  कम   दो   बून्द   पानी   बह   जाए
भीगजाने या तेलकी तरह पानी चोपदना एक
आधा बून्द बहजाने को धोना नही कहेंगे और
न ही इससे  वुजू होगा। इस अम्र का लिहाज
बहुत जरूरी है। लोग इसकी तरफ तवज्जोह
नहीं देते और नमाजे अकारत जाती है। बदन
में बाज जगहें ऐसी हैं कि जबतक उनका खास
ख्याल न किया जाए उन पर पानी न बहेगा।
📚 ( बहारे शरीअत : 2/ 74 )

मजकुरा हदीस में  हजरत आइशा ने हजरत
अब्दुर रहमान को ताकीद फ़रमाई और हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم का फरमान बताया
कि जो लोग वुजू में एहतियात नही करते उनके
लिये "वैल" है, हदीसे मुबारका में है  कि वैल
जहन्नम की एक वादीका नाम है अगर उसमें
दुनिया के पहाड डाले जाएं  तो वे भी उसकी
शदीद गर्मीकी वजह से  पिघल जाएं। हमारी
जरा  सी  बेएहतियाती  की  वजह  से  हम
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ के इतने सख्त अजाब के
शिकार हो सकते हैं लिहाजा हमें आजाए वुजू के
धुलने में मुकम्मल एहतियात बरतना चाहिये।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.105
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
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Monday 17 October 2016

🏽तहिय्यतुल वुजू, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 27,👉🏽 बरकाते शरीअत पोस्ट 35

👉🏽 बरकाते शरीअत पोस्ट 35
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 27
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

              👇🏽तहिय्यतुल वुजू👇🏽
वुजू के बाद कम अज कम दो रकअत नमाज़
बनियते  तहिय्यतुल  वुजू पढ़ना  मुस्तहब है।
हदीसे  मुबारका  में  इस की  बड़ी  फ़ज़ीलत
वारिद  है।.....   चुनांचे  हजरत  उक़बा  बिन
आमिर رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से रवायत है
कि रसूलुल्लाह  صَلَّى اللّٰه ُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  ने
इर्शाद फर्माया अगर कोई मुसलमान अच्छी
तरह  वुजू  करे  फिर  दो रकअत  नमाज़
(बनियते तहिय्यतुल वुजू) पढ़ेले तो जाहिर
व बातिन की  दुरुस्तगी के साथ  उस के लिये
जन्नत वाजिब हो जाती है।
📚 (मिश्कात शरीफ :39)

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.104
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
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Sunday 16 October 2016

🏽वुजू के बाद क़्या पढ़ना चाहिए, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 26, बरकाते शरीअत पोस्ट 34

 बरकाते शरीअत पोस्ट 34
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 26
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

  👇🏽वुजू के बाद क़्या पढ़ना चाहिए👇🏽

हजरत उक़बा बिनआमिरرَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه व हजरत उमर رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه
रवायत  करते  है  कि सरकारे मदीना  हुजूर
रहमते आलम صَلَّى  اللّٰه ُ عَلَئهِٖ  وَسَلَّم  ने
इरशाद  फ़रमाया : जो  शख्स  अच्छी तरह
वुजू करे फिर यह कहे :

اَشْھَدُ اَنْ  لَّا‌ اِلٰہَ اِلَّا اللّٰہُ

و اَشْھَدُ اَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُہُ وَرَسُوْلُہُ

उसके लिये जन्नत के आठो दरवाजे खोल
दिये जाते है जिस दरवाजे से चाहे जन्नत
में दाखिल हो जाए।
📚 (मुस्लिम शरीफ, किताबुत-तहारत)

इसी तरह  हजरत उमर  बिन खत्ताब رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه  से  रवायत  है  कि  रहमते
आलम  صَلَّى  اللّٰهُ  عَلَئهِٖ وَسَلَّم  ने  इर्शाद
फर्माया " जिस शख्स ने अच्छी तरह वुजू
किया फिर कहा

اَشْھَدُ اَنْ لَّا‌ اِلٰہَ اِلَّا اللّٰہُ وَ اَشْھَد ُاَنَّ

مُحَمَّدًا عَبْدُہُ وَرَسُوْلُہُ  اَللّٰھُمَّ اجْعَلْنِیْ

مِنَ التَّوَّابِیْنَ وَ اجَعَلْنِیْ مِنْ الْمُتَطَھِّرِیْنَ

तर्जुमा :- में गवाही देता हु कि अल्लाह के
सिवा  कोई  मअबूद  नही  और  मुहम्मद صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  अल्लाह  के  बन्दे
और उसके रसूलहै, ए अल्लाह मुझे तौबा
करने वालों और पाक रहने वालो में बना
उस के लिये जन्नत के  आठो दरवाजे  खोल
दिये  जाएगे   वह  जिस से  चाहे  जन्नत  में
दाखिल हो जाए।
📚 (जामेअ तिर्मिज़ी : 9)

अल्लामा नुववी लिखतेहै इस हदीससे मालूम
हुआ कि वुजूके बाद कलिमए शहादत पढ़ना
मुस्तहब  है।  यह  मुत्तफक  अलैह  है   और
बेहतर  है  कि  उस के  साथ  मुत्तसिलन  यह
जिक्र भी मिला लिया जाए

اَللّٰھُمَّ اجْعَلْنِیْ مِنْ التَّوَّابِیْنَ

              وَ اجَعَلْنِیْ مِنْ ا لْمُتَطَھِّرِیْنَ

जैसा कि जामेए तिर्मिज़ीमें है और मुस्तहब
ये है कि इसके साथ यह जिक्रभी मिला लिया
जाए
" سُـــبْـحَـانـَكَ الـلـّٰھـُمَّ وَ بِحـَمـْدِكَ

أَشــْھَـدُأَنْ لاَ إِلــٰهَ إِلَّا  اَنْتَ وَحْدَكَ

لَا شَرِكَ لَكَ أَســْتـَغـْفـِرْكَ وََأَتُوْبُ إِلَـىْـكَ"

जैसाकी इमामनसाईने अमलुलयौम वल्लैल
में रवायत किया है  हमारे असहाब ने कहा है
कि यह अज्कार गुस्ल करने वाले के लिये भी
मुस्तहब हैं।
📚 (शरहए सहीह मुस्लिम :1 /880)

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! मज़कूरा अज्कारके बाद सूरए
" इन्ना अन्जलना " पढ़ना भी मुस्तहब और
फ़ज़ाइल का  हामिल  है,  लिहाजा  हमें  वुजू
करने के  बाद  मज़कूरा  अज्कार  नीज सुरए
इन्नाअन्जलना पढ़नेकी आदतबनानी चाहिए

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.103
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
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Thursday 13 October 2016

🏽वुजू का मसनुन तरीका, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 25, बरकाते शरीअत पोस्ट -033

बरकाते शरीअत पोस्ट -033
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 25
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

       👇🏽वुजू का मसनुन तरीका👇🏽
सबसे पहले  वुजू की  नियत करे  और  फिर
       بِسْــــــــــــــــــمِ ﷲِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيم
पढ़ने के बाद  कम से  कम  तीन- तीन मर्तबा
ऊपर नीचे के दांतोकी चौड़ाई में मिस्वाक करे
न कि लम्बाई में और इसतरह कि पहले दायीं
जानिब के ऊपर के दांत फिर बायीं जानिबके
ऊपर के दांत फिर दाहिनी जानिब के निचे के
दांत फिर बायीं जानिब के निचेके दांत मांझे।
उसकेबाद दोनों हाथोंपर गट्टों समेत पानीमले
और उंगलियोंकी तरफसे शुरू करके गट्टेतक
3 बार पानी बहाए फिर लोटेको दाहिनेहाथमें
लेकर बाएं हाथ पर तीन बार उसी तरह पानी
बहाए और इसका ख्याल रहे कि उंगलियोंकी
घाइयां पानी बहने से  न रह जाएं  और अगर
हौज से वुजू करता हो  तो गट्टों तक हाथों को
मलने के बाद हौजमें पहले दाहिना हाथ डाल
कर 3 बार हिलाए और फिर बायां हाथ डाल
कर 3 बार हिलाए  फिर तीन बार कुल्ली इस
तरह करेकि मुंहकी तमामजड़ों और दांतोकी
सब खिड़कियोंमें पानी पहुंचजाए और अगर
रोज़ादार न हो तो हर कुल्ली गरगरा के साथ
करे।  फिर बाएं  हाथ की  छूंगलियां  नाक में
डालकर उसे साफ करे और सांसकी मदद से
तीन बार दाहिने हाथसे नरम बांसों तक पानी
चढ़ाए, फिर चेहरे पर अच्छी  तरह पानी मल
कर उस को तीन बार धोए  कि एक कान की
लौ से दूसरे कानकी लौतक  हर हर हिस्सेपर
पानी बह जाए और दाढ़ीके बाल व खाल को
धोए। हां दाढ़ीकेबाल घनेहों तो खालकाधोना
फर्ज नहीं सिर्फ मुस्तहब है  और दाढ़ी के जो
बाल मुंह के दाइरे से  निचे हैं उनको  भी धोए
और दाढ़ी और दाढ़ीका खिलालकरे इसतरह
कि उंगलियों को गर्दनकी तरहसे दाखिल करे
और  सामने  निकाले   फिर  दोनों  हाथो  पर
कोहनियों समेत  पानी  मलकर  पहले दाहिने
हाथ पर और फिर बाएं हाथपर सरे नाख़ूनसे
शुरू करके कोहनियोंके ऊपर तक बाल और
हर हिस्स ए खाल पर  तीन बार  पानी बहाए,
फिर सरकामसह इसतरह करेके दोनोंहाथोंके
अंगूठे और कलमेकीउंगलियां छोड़कर बाकी
तीन उंगलियों के  सिरे  मिला कर  पेशानी के
बालउगनेकी जगहपर रखे और सरके ऊपरी
हिस्से पर गुद्दी तक उंगलियों के पेट से मसह
करता हुआ  ले जाए  और हथेलियां  सर की
करवटों  पर जमाए  हुए गुद्दी तक खींचता ले
जाए और  बस,  फिर  उसके बाद कलिमे की
उंगलियों के पेट से कान के अंदरुनी हिस्सेका
मसह करे और अंगूठे के पेटसे कानके बाहरी
हिस्सेका मसह करे और उंगलियों की पीठसे
गर्दनका मसहकरे फिर पावं पर टखनों समेत
पानी मले  और पहले  दाहिने पावं फिर बाएं
पावं पर उंगलियों की तरहसे टखनों के ऊपर
तक हर बाल और हर हिस्सए खाल पर तीन
तीनबार पानीबहाए और उंगलियोंमें खिलाल
बाएं हाथ की  छूंगलियां से इस तरह  करे कि
दाहिने पावंकी छूंगलियां से शुरू करके अंगूठे
पर ख़त्म करे और बाएं पावंमें अंगूठे से शुरू
करके छूंगलियां पर ख़त्म करे  और हर उज्व
धोते वक़्त दुरुद पढता रहे कि अफज़ल है।

📚 (अनवारुल हदीस : 135 )

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो वुजूका जोतरीका मजकूर हुआ
उसमे कुछ बातें फर्जहैं कि उनके छुट जानेसे
या सही तौरपर अदान होनेसे वुजूनहीं होताहै
फराइज़  के  अलावा  दीगर  बातें  सुन्नत या
मुस्तहब  हैं  कि  उन के करने में  सवाब और
छोड़ देने से  सवाब में  कमी वाक़ेअ  होती है,
लिहाजा  हमें फराइज़ मुकम्मल एहतियात से
अदा  करना चाहिये और मुस्तहब्बात को भी
अदा  करने  की  कोशिश  करनी  चाहिये कि
अल्लाह  عَزَّ وَجَلَّ  अपने  फ़ज्लो- करम से
हमारी नेकियों में इजाफा फरमाएगा।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.102
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
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🏽वुजू को तोड़ने वाली चीजें,🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 24, बरकाते शरीअत पोस्ट -032

बरकाते शरीअत पोस्ट -032
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 24
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

     👇🏽वुजू को तोड़ने वाली चीजें👇🏽
✏ पेशाब या पाखाना करना
✏ पाखाने के रास्ते से हवाका निकलना
✏ पेशाब पाखाने के रास्तों से किसी भी चीज़ का निकलना
✏ बदन के किसी हिस्से या किसी मकाम से खून या पीप निकल कर ऐसी जगह बहना जिस का वुजू या गुस्ल में धोना फ़र्ज़ है
✏ खाना  या पानी  या खून या पित की मुंह भर कै हो जाना
✏ इस तरह सो जाना कि बदनके जोड़ ढीले पड जायें
✏ बेहोश हो जाना, गशी तारी हो जाना
✏ किसी चीज का इस हदतक नशा चढ़ जाना कि चलने में क़दम लड़खड़ाए
✏ दुखती हुई आंख से पानी या कीचड़ निकलना
✏ रुकूअ और  सजदे वाली  नमाज़  में कहकहा लगा कर हंसना।
📚 (जन्नती जेवर/ आलमगीरी)

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.101
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Sunday 9 October 2016

🏽वुजू के मकरुहात, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 23, बरकाते शरीअत पोस्ट -031

बरकाते शरीअत पोस्ट -031
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 23
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
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            👇🏽वुजू के मकरुहात👇🏽

मेरे प्यारे आक़ा صَلَّى اللّٰه ُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो वुजू में हम जाने अंजाने में कुछ
ऐसे काम भी  कर बैठते हैं  जिन के  करने से
वुजू मकरूह हो जाता है और सवाब में कमी
वाके हो जाती है। दर्ज जैल चन्द बातें वुजू में
मकरूह है उनके करने से  हमें बचना चाहिये
ताकि  वुजू के मुकम्मल  फ़ज़ाइल व फवाइद
हासिल हो सकें।

✏ औरत के गुस्ल  या वुजू के  बचे हुए पानी से वुजू करना।
✏ नजिस जगह वुजू का पानी गिराना।
✏ मस्जिद के अंदर वुजू करना।
✏ वुजूके पानी के कतरे वुजू के बर्तन में टपकाना।
✏ किब्ला की तरफ कुल्ली का पानी या नाक, खखार, थूक डालना।
✏ बेजरुरत  दुनिया  की  बातें  करना।
✏ जरुरत से ज्यादा पानी खर्च करना।
✏ इतना  कम  पानी   खर्च  करना  कि सुन्नतेँ अदा न हो।
✏ एक हाथ से मुंह धोना।
✏ मुंह पर पानी मारना।
✏ वुजू के कतरों को कपडे या मस्जिद में टपकने देना।
✏ वुजूकी किसी सुन्नत को छोड़ देना।

📚 (कानूने शरीअत)

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
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Thursday 6 October 2016

🏽वुजू के मुस्तहब्बात, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 22 ,बरकाते शरीअत पोस्ट -030

बरकाते शरीअत पोस्ट -030
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 22
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          👇🏽वुजू के मुस्तहब्बात👇🏽

वुजू में जो चीजें मुस्तहब है उन मे से चन्द का जिक्र किया जाता है

✏ जो आजा जोड़े है मसलन दोनों हाथ दोनों पावं  तो  इनमे  दाहिने  से  धोने की इब्तिदा करे  मगर दोनों रुखसार  कि  इन दोनों  को   एक  ही   साथ  धोना  चाहिये युं ही  दोनों कानों का मसह एक ही साथ
होना चाहिये
✏ उंगलियों की पीठ से गर्दन का मसह करना
✏ ऊंची जगह पर बैठ कर वुजू करना
✏ वुजू का पानी पाक जगह पर गिराना
✏ अपने हाथ से वुजू का पानी भरना
✏ दूसरे  वक़्त  के  लिये  पानी  भर  के रख देना
✏ बिला जरुरत  वुजू करने में  दूसरे से मदद लेना
✏ ढीली अंगूठी को भी फिरा लेना
✏ साहिबे उज्र न हो  तो वक़्त से पहले वुजू कर लेना
✏ इत्मिनान से वुजू करना
✏ कानों के मसह के वक़्त उंगलियों कान के सूराखों में दाखिल करना
✏ कपड़ों को टपकते कतरात से बचाना
✏ वुजू का बर्तन मिट्टी का हो
✏ अगर वुजू का बर्तन लोटा हो तो बायीं तरफ रखें
✏ हर उज्व को धोकर उस पर हाथ फेर देना ताकि कतरे बदनपे न टपकेँ
✏ हर उज्व को धोते वक़्त बिस्मिल्लाह दुरुद शरीफ और कलिमए शहादत पढ़ना
✏ वुजू  के  बाद   अगर  मकरूह  वक़्त न हो तो दो रकअत नमाज़ पढ़ ले। (बनियत तहिय्यतुल वुजू)

📚(जन्नती जेवर, बहवाला आलमगीर)


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Wednesday 5 October 2016

वुजू की सुन्नतें, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 21, बरकाते शरीअत पोस्ट -029

 बरकाते शरीअत पोस्ट -029
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 21

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            👇🏽 वुजू की सुन्नतें 👇🏽

👉🏾 वुजू में सोलह (16) चीजें सुन्नत है :

✏ वुजू की नियत करना
✏ बिस्मिल्लाह पढ़ना
✏ पहले दोनों हाथों को 3 दफा धोना
✏ मिस्वाक करना
✏ दाहिने हाथसे 3 मर्तबा कुल्लीकरना
✏ दाहिने  हाथ से  तीन मर्तबा  नाक में पानी चढ़ाना
✏ बाएं हाथ से नाक साफ करना
✏ दाढ़ी का उंगलियों से खिलाल करना
✏ हाथ  और  पावं  की  उंगलियों  का खिलाल करना
✏ हर उज्व को तीन- तीन बार धोना
✏ पुरे सर का मसह करना
✏ तरतीब से वुजू करना
✏ दाढ़ीके जोबाल मुंहके दाइरेके निचेहै उन पर गिला हाथ फेर लेना
✏ अअजा का  लगातार धो  लेना,  कि एक  उज्व सूखने से  पहले  ही दूसरे उज्व को धो ले
✏ कानों का मसह करना
✏ मकरूह बातों से बचना।

📚 (जन्नती जेवर : 161)

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Tuesday 4 October 2016

वुजू में चार चीजें फ़र्ज़ है, फराइज़े वुजू, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 20, बरकाते शरीअत पोस्ट -028

 बरकाते शरीअत पोस्ट -028
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 20
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ
              👇🏽 फराइज़े वुजू 👇🏽

👉🏾 वुजू में चार चीजें फ़र्ज़ है :

1⃣ मुंह धोना।  यानी पेशानी (जहां से बाल
जमने  की शुरुआत हो )  से ठुडी तक तूल में
और अर्जमें एक कानकी लौसे दूसरे कानतक
जिल्दके हर हिस्से में कमअज कम एक मर्तबा
पानी पंहुचाना।

2⃣ कोहनियों समेत हाथ धोना इस हुक्म में
कोहनियां भी  दाखिल है, अगर  कोहनियों से
नाख़ून तक कोई जगह जर्रा भर भी धुलने से
रह जाएगी तो वुजू न होगा।

3⃣ सर का  मसह  करना। चौथाई सर का
मसह करना फर्ज है, मसह करने केलिये हाथ
तर होना चाहिये, ख़्वाह हाथ में तरी अअजाके
धोने के बाद  रह गई हो  या नए पानी से हाथ
तर कर लिया हो।

4⃣ टखनों समेत पांव धोना


अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.99
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

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Monday 3 October 2016

🏽उंगलियों का खिलाल, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 19, बरकाते शरीअत पोस्ट -027

बरकाते शरीअत पोस्ट -027


👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 19
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ
       👇🏽उंगलियों का खिलाल👇🏽

हुजूर रहमते आलम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
ने इरशाद  फ़रमाया  " अपनी  उंगलियों का
खिलाल  करो   ताकि  उन के   दरमियान
जहन्नम की आग न डाल दी जाए। "

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे  दीवानो !  इस  हदीस  में  हुजूर  रहमते
आलम  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने उंगलियों
के खिलाल का हुक्म  फ़रमाया और साथ ही
इसकी इल्लत यह बयान फर्माइ कि उंगलियों
का खिलाल न करने की वजह से जहन्नमकी
आग उंगलियों के दरमियान डाल दी जायेगी।
लिहाजा वुजू करते वक़्त हमें अपनी उंगलियों
का खिलाल भी करलेना चाहिये। खिलाल का
तरीका यह है  कि दाएं हाथ की उंगलियों को
बाएं हाथकी उंगलियों के दरमियान और बाएं
हाथकी उंगलियोंको दाएं हाथ की उंगलियोंके
दरमियान से गुजारा जाए  और बाएं हाथ की
छोटी  उंगली से दोनों  पैरो की  उंगलियों  का
खिलाल किया जाए।


अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.98
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

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Saturday 1 October 2016

🏽मिस्वाक के फवाइद -2, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 18, बरकाते शरीअत पोस्ट -026

 बरकाते शरीअत पोस्ट -026
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 18

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ
       👇🏽मिस्वाक के फवाइद -2👇🏽
इसी  तरह   हजरत  अल्लामा  हसन  बिन
अम्मार علیہ الرحمہ मिस्वाक  के फवाइद
के बारे में तहरीर फरमाते है :
👉🏾 मिस्वाक करना फरिश्तों की सुन्नत है।
👉🏾 फ़रिश्ते मिस्वाक करने वाले से  मुसाफा
       करते है।
👉🏾 फ़रिश्ते साथ चलते है जब वो नमाज़ के
       लिए जाता है।
👉🏾 फ़रिश्ते उसके लिये इस्तिग़फार करते है
👉🏾 आमाल नामा सीधे हाथमें दिया जायेगा।
👉🏾 कजाए हाजत पर मदद करता है।
👉🏾 उसके लिये कब्र कुशादा हो जाती है।
👉🏾 लहद में मूनिस व गमख्वार होती है।
👉🏾 जन्नत के दरवाजे खोले जाते है।
👉🏾 जहन्नम  के  दरवाजे  उस पर बन्द कर
       दिये जाते है।
👉🏾 दुन्यासे पाकीजगी की हालत में निकलता है
👉🏾 फिरिश्ते    मिस्वाक    करने   वाले    के
       मुतअल्लिक़ कहते है कि यह अंबियाकी
       पैरवी करने वाला और उनके तरीके पर
       चलने वाला है।
👉🏾 मलेकुल मौत  मिस्वाक  करने वाले  की
       रूह कब्ज करने के वक़्त उसी सूरत में
       आते है जिस सूरत में अंबिया व औलिया
       के पास आते है।
👉🏾 दुन्यासे रुखसत होते वक़्त नबी ए मुकर्रम
       रसूले मोहतरमصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
       के हौज से  सैराब किया  जाता है  और
       वह  रहीके  मख्तुम (खालिस  शहद का
       मोहर शुदा मशरूब) है।

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो !  इंसान का  कोई भी  अमल दो
मकसद के लिये होता है। या तो उसका उसमे
कोई  दुनियावी फायदा होता है आख़िरत की
कोई भलाई  मकसूद होती है  मिस्वाक करना
ऐसा अमल है कि उसमे दुनिया के भी मुतअद्दिद
फवाइद  मुज्मर  है   और  आख़िरत  के  भी
मुख़्तलिफ़  फ़ज़ाइल  पोशीदा  हैं   जैसा  कि
आपने मज़कूरा सुतुर में  मुलाहजा फ़रमाया।
लिहाजा  हमें  हर  नमाज़ से  क़ब्ल  मिस्वाक
करने की आदत बनानी चाहिए।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.97
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
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Friday 30 September 2016

🏽मिस्वाक के फवाइद-1,🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 17, 🏽 बरकाते शरीअत पोस्ट -025

👉🏽 बरकाते शरीअत पोस्ट -025

👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 17
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

       🏽मिस्वाक के फवाइद-1

हदीसे पाक  और साइंस  दोनों के  तजर्बे  के
मुताबिक  मिस्वाक  के  बेशुमार  फवाइद  है।
अल्लामा शामी علیہ الرحمہ ने मिस्वाक के
बारे में तहरीर फ़रमाया है  कि मिस्वाक करने
वालेकेलिये मिस्वाककेमुन्दर्जा ज़ैल फवाइदहै
👉🏾 बुढ़ापे में ताखीर करती है।
👉🏾 बसारत को तेज करती है।
👉🏾 हरबीमारी केलिऐ शिफ़ा है मौतके सिवा
👉🏾 पुलसीरात पर चलनेमें तेजी बख्शती है
👉🏾 मुंह की सफाई का जरिया है।
👉🏾 रब तआला की रज़ा का सबब है।
👉🏾 मलाइका को खुश करती है।
👉🏾 मुंहकी गंदगीकोदूर व दांत सहीकरती है
👉🏾 बसारत को जिला बख्शती है।
👉🏾 मसूढों को मजबूत करती है।
👉🏾 खाने को हजम करती है
👉🏾 बलगम को काटती है।
👉🏾 नमाज़ के अज़्रो-सवाब को बढाती है।
👉🏾 फ़साहत को बढाती है।
👉🏾 मेदा को कुव्वत देती है।
👉🏾 नेकियों में इजाफा करती है।
👉🏾 सफरा (कड़वा माद्दा) को काटती है
👉🏾 बालों की जड़ों को मजबूत करती है।
👉🏾 रूह के निकलने को आसान करती है।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.96
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

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Thursday 29 September 2016

🏽मिस्वाक भी कर लें, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 16, बरकाते शरीअत पोस्ट -024

बरकाते शरीअत पोस्ट -024

👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 16
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

          👇🏽मिस्वाक भी कर लें👇🏽

हजरत आइशा सिद्दीका رضي الله عنها से
रवायत है  कि हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
ने इरशाद फ़रमाया "मिस्वाक मुंह को पाक
करने वाली  और  परवरदिगार को  राज़ी
करने वाली चीज है। "
📚 ( अनवारुल हदीस : 133 )

हज़रत अबू हुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से
रवायत है  कि हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
ने इर्शाद फर्माया "अगर मुझे  अपनी उम्मत
पर दुशवार न लगता तो मैं उन्हें हर नमाज़
के वक़्त मिस्वाक करने का हुक्म देता।"
📚 ( मुस्लिम शरीफ )

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! पहली हदीस में मिस्वाक के दो
फवाइद जिक्र किये गए, एक दुन्यावी फायदा
कि उससे मुंह सुथरा  हो जाता है  और दूसरा
उखरावी फायदा कि उसके जरिये अल्लाह की
ख़ुशनूदी हासिल होती है। और दूसरी हदीस में
उम्मत को नबी ए करीम صَلَّىللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
ने रगबत दिलाई की मिस्वाक मुझे इस हदतक
महबूब है  कि अगर  उम्मत की  दुशवारी का
एहसास  न होता  तो उन पर  मिस्वाक करना
लाजिम कर दिया जाता  इस से  मिस्वाक की
अहमियत  बिलकुल  वाजेह  हो जाती है  कि
मिस्वाक  करना  खुद  एक अहम  सुन्नत की
हैसियत  रखता  है  और दुनियवी व उखरवी
फवाइद  का  भी  हामिल  है।   लिहाजा  हमें
कोशिश करनी चाहिये कि हर नमाज़ के लिये
वुजू  करते  वक़्त  मिस्वाक  कर  लिया  करें,
अलबत्ता  अगर  मिस्वाक  न मयस्सर हो  तो
अपनी उंगलिको मिस्वाक की जगह इस्तेमाल
करलें कि सरकार صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने
इरशाद  फ़रमाया  " उंगलियां  मिस्वाक  से
किफ़ायत करती है। "
📚 ( सुनने कुबरा : 1/41 )

उंगलीका इस्तेमाल करना अगर्चे मिस्वाक की
जगह काफी होगा मगर मिस्वाक की फ़ज़ीलत
नही हासिल हो पाएगी, लिहाजा कोशिश करें
कि मिस्वाक ही इस्तेमाल किया जाए।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.96
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
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तीन- तीन बार धोएं, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 15, बरकाते शरीअत पोस्ट -023

बरकाते शरीअत पोस्ट -023

👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 15

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

       👇🏽 तीन- तीन बार धोएं 👇🏽

हज़रत उस्मान गनी رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه
से  रवायत  है  कि  रसूलुल्लाह  صَلَّى  اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने आजाए वुजू  को  तीन- तीन
मर्तबा धूल कर वुजू फर्माया और उसके बाद
इर्शाद फर्माया " यह मेरा और मुझसे पहले
अंबिया का वुजू है।"
📚 ( मिश्कात शरीफ )

पता चला कि वुजू करते  वक़्त  आजाए वुजू
तीन-तीन बार धुलना सारे अंबिया की सुन्नत
है। लिहाज आजाए वुजू को तीन-तीन मर्तबा
धुलें  कि   इस में   ज्यादा  एहतियात  भी   है
और तमाम अम्बियाए किराम की  सुन्नत पर
अमल करना भी।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.95
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

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🏽दायीं जानिब से शुरू करो, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 14, बरकाते शरीअत पोस्ट -022

बरकाते शरीअत पोस्ट -022


👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 14

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ


     👇🏽दायीं जानिब से शुरू करो👇🏽

हज़रत अबू हुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से
रवायत है कि हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
ने इरशाद फ़रमाया " जब कपडा पहनो या
वुजू करो तो अपने दाहिने से शुरू करो।"
📚 (अनवारुल हदीस : 133)

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! दायीं जानिब से शुरू करने का
मतलब यह है कि पहले दायां हाथ धुला जाए
फिर बायां हाथ, इसी तरह पहले दायां पैर धुला
जाए फिर बायां पैर और कुर्ता पहनने में पहले
दायीं आस्तीन में  हाथ डाला जाए, पायजामा
पहनने में  पहले दायीं  तरफ पैर डाला जाए।
इसमें सिर्फ वुजू या कपडा पहनने की तख्सीस
नही बल्कि हर काम की शुरुआत दायीं तरफ
से करना मुस्तहब है।
चुनांचे  सरकार  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم को
हर काम में  दायीं तरफ से शुरुआत पसन्द है
यहां तक कि जूता पहनने और कंघा करने में
भी।  लिहाजा  कोशिश करें कि  हर काम की
इब्तिदा  दायीं  जानिब से  करें और  खुसुसन
वुजू में  आजा को  धुलने  की शुरुआत  दायीं
जानिब से करे।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.94
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Wednesday 28 September 2016

क्या इस्लाम एक बुरा धर्म हैं..?

क्या इस्लाम एक बुरा धर्म हैं... ?
जब से इस्लाम धर्म दुनिया में आया हैं , तब से ही इस्लाम को बुरा कहने वाले भी पैदा हो गये हैं। 

इस्लाम धर्म से चिढने वालों की हर वक़्त यही कोशिश रहती हैं कि किसी न किसी तरीके से इस्लाम को बदनाम किया जाए।  

और वे इस्लाम धर्म के प्रति अलग अलग प्रकार की भ्रामक बातें फैलाते रहते हैं।आखिरकार वे इस्लाम से चिढते क्यों हैं? जबकि 


✅ इस्लाम कहता है कि हमें एक ईश्वर को पुजना चाहिए जो हम सबका मालिक हैं। जिसका कोई रंग हैं ना कोई रूप हैं। जिसे किसी ने नहीं बनाया पर उसने हर चीज़ को बनाया। अगर ये बात बुरी हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।  


✅ इस्लाम कहता है कि तुम्हारी मेहनत की कमाई से 2.5% गरीबों को देना हर हालत में जरूरी हैं। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।  


✅ इस्लाम कहता है कि तुम लोगों की मदद करोगे तो खुदा तुम्हारी मदद करेंगा। और जो कुछ भी तुम अपने लिए चाहते हो वही सबके लिए भी चाहो तो ही एक सच्चे मुसलमान बन सकते हो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।  


✅ इस्लाम कहता है कि तुम एक महीने तक सुबह से शाम भूखे और प्यासे रहो ताकि तुम्हें एहसास हो सकें कि भूख और प्यास क्या होती हैं। अगर ऐसी बात सिखाना गलत हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।  


✅ इस्लाम कहता है कि तुम्हारे घर बेटी पैदा हो तो दुखी मत होना क्योंकि बेटियाँ तो खुदा की रहमत (इनाम) हैं। और जो व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई से अपनी बेटी की परवरिश करें और उसकी अच्छे घर में शादी कराएँ तो वो जन्नत (स्वर्ग) में जायेगा। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि सबसे अच्छा आदमी वो हैं जो औरतों के साथ सबसे अच्छा सुलूक करता हैं। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि विधवाएं मनहूस नहीं होती इन्हें भी एक बेहतर जीवन जीने का पूरा अधिकार है। इसलिए विधवाओ और उनके बच्चों को अपनाओ। अगर विधवाओ को अधिकार देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों जब नमाज पढ़ो तो एक दूसरे से कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहो क्योंकि तुम सब आपस मे बराबर हो तुम में से कोई छोटा या बड़ा नहीं हैं। समानता की शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों अपने पड़ोसियों से अच्छा बर्ताव करो चाहे तुम उन्हें जानते हो या न जानते हो। और खुद खाने से पहले अपने पड़ोसी को खाना खिलाओ। पड़ोसी की मदद करना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि शराब और जुआ सारी बुराइयों की जड़ है। इनसे अपने आप को दूर रखे। अगर समाज में मौजूद बुराइयों को समाप्त करना बुरी बात हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि मजदूर का पसीना सूखने से पहले पहले उसकी मजदूरी दे दो। और कभी किसी गरीब और अनाथ की बद्दुआ न लेना नहीं तो बरबाद हो जाओगे। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि अपने आप को जलन (ईर्ष्या) से दूर रखो क्योंकि ये तुम्हारे (नेकियों) अच्छे कामों को ऐसे बरबाद कर देती हैं जैसे दीमक लकड़ी को। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि बुजुर्ग व्यक्ति का सम्मान करना मानों खुदा का सम्मान करने जैसा हैं। अगर तुम जन्नत (स्वर्ग) में जाना चाहते हो तो अपने मा बाप को हर हाल में खुश रखो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।  


✅ इस्लाम कहता है कि सबसे बड़ा जिहाद ये है कि कोई व्यक्ति अपनी इच्छाओं को मारे और अपने आप से लड़े। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि अगर खुश रहना चाहते हो तो किसी अमीर को मत देखो बल्कि गरीब को देखो तो खुश रहोगे। और लोगों से अच्छा बर्ताव करना सबसे बड़ा पुण्य का काम हैं। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि हमेशा नैतिकता और सच्चाई के रास्ते पर चलो। बोलों तो सच बोलों, वादा करो तो निभाओ और कभी किसी का दिल मत दुखाओ। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि सबसे बुरी दावत वह हैं जिसमें अमीरों को तो बुलाया जाता हैं परन्तु गरीबों को नहीं बुलाया जाता हैं। 


✅पानी को ज़रूरत तक ही इस्तेमाल(उपयोग) करना। और बिना वजह पानी का दुरूपयोग करना गुनाह(पाप)। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅रास्ते में अगर कोई तक़लीफ़ देने वाली वस्तु(पत्थर,कील,) होतो उसे किनारे करना जिससे दुसरो को पीड़ा न हो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅इस्लाम कहता है कि नामहरम महिलाओ पर नज़र पड़े तो आँखें नीची कर लो क्योंकी गैर महिला को देखना गुनाह(पाप) है। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा घर्म है।