Friday 30 September 2016

🏽मिस्वाक के फवाइद-1,🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 17, 🏽 बरकाते शरीअत पोस्ट -025

👉🏽 बरकाते शरीअत पोस्ट -025

👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 17
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

       🏽मिस्वाक के फवाइद-1

हदीसे पाक  और साइंस  दोनों के  तजर्बे  के
मुताबिक  मिस्वाक  के  बेशुमार  फवाइद  है।
अल्लामा शामी علیہ الرحمہ ने मिस्वाक के
बारे में तहरीर फ़रमाया है  कि मिस्वाक करने
वालेकेलिये मिस्वाककेमुन्दर्जा ज़ैल फवाइदहै
👉🏾 बुढ़ापे में ताखीर करती है।
👉🏾 बसारत को तेज करती है।
👉🏾 हरबीमारी केलिऐ शिफ़ा है मौतके सिवा
👉🏾 पुलसीरात पर चलनेमें तेजी बख्शती है
👉🏾 मुंह की सफाई का जरिया है।
👉🏾 रब तआला की रज़ा का सबब है।
👉🏾 मलाइका को खुश करती है।
👉🏾 मुंहकी गंदगीकोदूर व दांत सहीकरती है
👉🏾 बसारत को जिला बख्शती है।
👉🏾 मसूढों को मजबूत करती है।
👉🏾 खाने को हजम करती है
👉🏾 बलगम को काटती है।
👉🏾 नमाज़ के अज़्रो-सवाब को बढाती है।
👉🏾 फ़साहत को बढाती है।
👉🏾 मेदा को कुव्वत देती है।
👉🏾 नेकियों में इजाफा करती है।
👉🏾 सफरा (कड़वा माद्दा) को काटती है
👉🏾 बालों की जड़ों को मजबूत करती है।
👉🏾 रूह के निकलने को आसान करती है।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.96
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

SDI Web Visit : www.sunnidawateislami.net
👇🏽इसे क्लिककरे और भी पोस्ट पढ़े👇🏽
       www.SDITeam.blogspot.in

     👉🏽 ज्यादा से ज्यादा शेयर करे 👈🏽
         〰 ✖ 〰 ✖〰✖ 〰 ✖ 〰

Thursday 29 September 2016

🏽मिस्वाक भी कर लें, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 16, बरकाते शरीअत पोस्ट -024

बरकाते शरीअत पोस्ट -024

👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 16
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

          👇🏽मिस्वाक भी कर लें👇🏽

हजरत आइशा सिद्दीका رضي الله عنها से
रवायत है  कि हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
ने इरशाद फ़रमाया "मिस्वाक मुंह को पाक
करने वाली  और  परवरदिगार को  राज़ी
करने वाली चीज है। "
📚 ( अनवारुल हदीस : 133 )

हज़रत अबू हुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से
रवायत है  कि हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
ने इर्शाद फर्माया "अगर मुझे  अपनी उम्मत
पर दुशवार न लगता तो मैं उन्हें हर नमाज़
के वक़्त मिस्वाक करने का हुक्म देता।"
📚 ( मुस्लिम शरीफ )

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! पहली हदीस में मिस्वाक के दो
फवाइद जिक्र किये गए, एक दुन्यावी फायदा
कि उससे मुंह सुथरा  हो जाता है  और दूसरा
उखरावी फायदा कि उसके जरिये अल्लाह की
ख़ुशनूदी हासिल होती है। और दूसरी हदीस में
उम्मत को नबी ए करीम صَلَّىللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
ने रगबत दिलाई की मिस्वाक मुझे इस हदतक
महबूब है  कि अगर  उम्मत की  दुशवारी का
एहसास  न होता  तो उन पर  मिस्वाक करना
लाजिम कर दिया जाता  इस से  मिस्वाक की
अहमियत  बिलकुल  वाजेह  हो जाती है  कि
मिस्वाक  करना  खुद  एक अहम  सुन्नत की
हैसियत  रखता  है  और दुनियवी व उखरवी
फवाइद  का  भी  हामिल  है।   लिहाजा  हमें
कोशिश करनी चाहिये कि हर नमाज़ के लिये
वुजू  करते  वक़्त  मिस्वाक  कर  लिया  करें,
अलबत्ता  अगर  मिस्वाक  न मयस्सर हो  तो
अपनी उंगलिको मिस्वाक की जगह इस्तेमाल
करलें कि सरकार صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने
इरशाद  फ़रमाया  " उंगलियां  मिस्वाक  से
किफ़ायत करती है। "
📚 ( सुनने कुबरा : 1/41 )

उंगलीका इस्तेमाल करना अगर्चे मिस्वाक की
जगह काफी होगा मगर मिस्वाक की फ़ज़ीलत
नही हासिल हो पाएगी, लिहाजा कोशिश करें
कि मिस्वाक ही इस्तेमाल किया जाए।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.96
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
SDI Web Visit : www.sunnidawateislami.net
👇🏽इसे क्लिककरे और भी पोस्ट पढ़े👇🏽
       www.SDITeam.blogspot.in

     👉🏽 ज्यादा से ज्यादा शेयर करे 👈🏽
         〰 ✖ 〰 ✖〰✖ 〰 ✖ 〰

तीन- तीन बार धोएं, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 15, बरकाते शरीअत पोस्ट -023

बरकाते शरीअत पोस्ट -023

👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 15

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

       👇🏽 तीन- तीन बार धोएं 👇🏽

हज़रत उस्मान गनी رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه
से  रवायत  है  कि  रसूलुल्लाह  صَلَّى  اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने आजाए वुजू  को  तीन- तीन
मर्तबा धूल कर वुजू फर्माया और उसके बाद
इर्शाद फर्माया " यह मेरा और मुझसे पहले
अंबिया का वुजू है।"
📚 ( मिश्कात शरीफ )

पता चला कि वुजू करते  वक़्त  आजाए वुजू
तीन-तीन बार धुलना सारे अंबिया की सुन्नत
है। लिहाज आजाए वुजू को तीन-तीन मर्तबा
धुलें  कि   इस में   ज्यादा  एहतियात  भी   है
और तमाम अम्बियाए किराम की  सुन्नत पर
अमल करना भी।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.95
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

SDI Web Visit : www.sunnidawateislami.net
👇🏽इसे क्लिककरे और भी पोस्ट पढ़े👇🏽
       www.SDITeam.blogspot.in

     👉🏽 ज्यादा से ज्यादा शेयर करे 👈🏽
      〰 ✖ 〰 ✖〰✖ 〰 ✖ 〰

🏽दायीं जानिब से शुरू करो, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 14, बरकाते शरीअत पोस्ट -022

बरकाते शरीअत पोस्ट -022


👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 14

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ


     👇🏽दायीं जानिब से शुरू करो👇🏽

हज़रत अबू हुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से
रवायत है कि हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
ने इरशाद फ़रमाया " जब कपडा पहनो या
वुजू करो तो अपने दाहिने से शुरू करो।"
📚 (अनवारुल हदीस : 133)

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! दायीं जानिब से शुरू करने का
मतलब यह है कि पहले दायां हाथ धुला जाए
फिर बायां हाथ, इसी तरह पहले दायां पैर धुला
जाए फिर बायां पैर और कुर्ता पहनने में पहले
दायीं आस्तीन में  हाथ डाला जाए, पायजामा
पहनने में  पहले दायीं  तरफ पैर डाला जाए।
इसमें सिर्फ वुजू या कपडा पहनने की तख्सीस
नही बल्कि हर काम की शुरुआत दायीं तरफ
से करना मुस्तहब है।
चुनांचे  सरकार  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم को
हर काम में  दायीं तरफ से शुरुआत पसन्द है
यहां तक कि जूता पहनने और कंघा करने में
भी।  लिहाजा  कोशिश करें कि  हर काम की
इब्तिदा  दायीं  जानिब से  करें और  खुसुसन
वुजू में  आजा को  धुलने  की शुरुआत  दायीं
जानिब से करे।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.94
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

SDI Web Visit : www.sunnidawateislami.net
👇🏽इसे क्लिककरे और भी पोस्ट पढ़े👇🏽
       www.SDITeam.blogspot.in

     👉🏽 ज्यादा से ज्यादा शेयर करे 👈🏽
         〰 ✖ 〰 ✖〰✖ 〰 ✖ 〰

Wednesday 28 September 2016

क्या इस्लाम एक बुरा धर्म हैं..?

क्या इस्लाम एक बुरा धर्म हैं... ?
जब से इस्लाम धर्म दुनिया में आया हैं , तब से ही इस्लाम को बुरा कहने वाले भी पैदा हो गये हैं। 

इस्लाम धर्म से चिढने वालों की हर वक़्त यही कोशिश रहती हैं कि किसी न किसी तरीके से इस्लाम को बदनाम किया जाए।  

और वे इस्लाम धर्म के प्रति अलग अलग प्रकार की भ्रामक बातें फैलाते रहते हैं।आखिरकार वे इस्लाम से चिढते क्यों हैं? जबकि 


✅ इस्लाम कहता है कि हमें एक ईश्वर को पुजना चाहिए जो हम सबका मालिक हैं। जिसका कोई रंग हैं ना कोई रूप हैं। जिसे किसी ने नहीं बनाया पर उसने हर चीज़ को बनाया। अगर ये बात बुरी हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।  


✅ इस्लाम कहता है कि तुम्हारी मेहनत की कमाई से 2.5% गरीबों को देना हर हालत में जरूरी हैं। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।  


✅ इस्लाम कहता है कि तुम लोगों की मदद करोगे तो खुदा तुम्हारी मदद करेंगा। और जो कुछ भी तुम अपने लिए चाहते हो वही सबके लिए भी चाहो तो ही एक सच्चे मुसलमान बन सकते हो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।  


✅ इस्लाम कहता है कि तुम एक महीने तक सुबह से शाम भूखे और प्यासे रहो ताकि तुम्हें एहसास हो सकें कि भूख और प्यास क्या होती हैं। अगर ऐसी बात सिखाना गलत हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।  


✅ इस्लाम कहता है कि तुम्हारे घर बेटी पैदा हो तो दुखी मत होना क्योंकि बेटियाँ तो खुदा की रहमत (इनाम) हैं। और जो व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई से अपनी बेटी की परवरिश करें और उसकी अच्छे घर में शादी कराएँ तो वो जन्नत (स्वर्ग) में जायेगा। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि सबसे अच्छा आदमी वो हैं जो औरतों के साथ सबसे अच्छा सुलूक करता हैं। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि विधवाएं मनहूस नहीं होती इन्हें भी एक बेहतर जीवन जीने का पूरा अधिकार है। इसलिए विधवाओ और उनके बच्चों को अपनाओ। अगर विधवाओ को अधिकार देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों जब नमाज पढ़ो तो एक दूसरे से कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहो क्योंकि तुम सब आपस मे बराबर हो तुम में से कोई छोटा या बड़ा नहीं हैं। समानता की शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि ऐ मुसलमानों अपने पड़ोसियों से अच्छा बर्ताव करो चाहे तुम उन्हें जानते हो या न जानते हो। और खुद खाने से पहले अपने पड़ोसी को खाना खिलाओ। पड़ोसी की मदद करना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि शराब और जुआ सारी बुराइयों की जड़ है। इनसे अपने आप को दूर रखे। अगर समाज में मौजूद बुराइयों को समाप्त करना बुरी बात हैं तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि मजदूर का पसीना सूखने से पहले पहले उसकी मजदूरी दे दो। और कभी किसी गरीब और अनाथ की बद्दुआ न लेना नहीं तो बरबाद हो जाओगे। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि अपने आप को जलन (ईर्ष्या) से दूर रखो क्योंकि ये तुम्हारे (नेकियों) अच्छे कामों को ऐसे बरबाद कर देती हैं जैसे दीमक लकड़ी को। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि बुजुर्ग व्यक्ति का सम्मान करना मानों खुदा का सम्मान करने जैसा हैं। अगर तुम जन्नत (स्वर्ग) में जाना चाहते हो तो अपने मा बाप को हर हाल में खुश रखो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं।  


✅ इस्लाम कहता है कि सबसे बड़ा जिहाद ये है कि कोई व्यक्ति अपनी इच्छाओं को मारे और अपने आप से लड़े। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि अगर खुश रहना चाहते हो तो किसी अमीर को मत देखो बल्कि गरीब को देखो तो खुश रहोगे। और लोगों से अच्छा बर्ताव करना सबसे बड़ा पुण्य का काम हैं। अगर ये बुरी बात है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि हमेशा नैतिकता और सच्चाई के रास्ते पर चलो। बोलों तो सच बोलों, वादा करो तो निभाओ और कभी किसी का दिल मत दुखाओ। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅ इस्लाम कहता है कि सबसे बुरी दावत वह हैं जिसमें अमीरों को तो बुलाया जाता हैं परन्तु गरीबों को नहीं बुलाया जाता हैं। 


✅पानी को ज़रूरत तक ही इस्तेमाल(उपयोग) करना। और बिना वजह पानी का दुरूपयोग करना गुनाह(पाप)। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅रास्ते में अगर कोई तक़लीफ़ देने वाली वस्तु(पत्थर,कील,) होतो उसे किनारे करना जिससे दुसरो को पीड़ा न हो। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा धर्म हैं। 


✅इस्लाम कहता है कि नामहरम महिलाओ पर नज़र पड़े तो आँखें नीची कर लो क्योंकी गैर महिला को देखना गुनाह(पाप) है। ऐसी शिक्षा देना गलत है तो फिर इस्लाम एक बुरा घर्म है।

Tuesday 27 September 2016

🏽वुजू से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ो, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 13, बरकाते शरीअत पोस्ट -021

बरकाते शरीअत पोस्ट -021
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 13

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ
  👇🏽वुजू से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ो👇🏽

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद  رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से  रवायत  है  की हुजूर  रहमते
आलम  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  ने  इरशाद
फ़रमाया जिसने बिस्मिल्लाह कहकर वुजू
किया, सरसे पावं तक उसका सारा बदन
पाक  हो  गया.....   और  जिस  ने  बगैर
बिस्मिल्लाह वुजू किया उसका उतना ही
बदन पाक होगा जितने पर पानी गुजरा।
📚 बहारे शरीअत, दारे कुतनी व बैहकी

और  हज़रत  सईद  बिन  ज़ैद  رَضِىَ  اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से रवायत  है  की  हुजूर  रहमते
आलम  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  ने  इरशाद
फर्माया जिसने वुजू के शुरू में बिस्मिल्लाह
न पढ़ा उसका वुजू कामिल नही।"
📚 (तिर्मिज़ी)

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो वुजू करने से पहले बिस्मिल्लाह
पढ़ लेना कितनी फ़ज़ीलत का हामिल है  कि
पानी हम बदन के चन्द आज़ा पर बहाऐंगे मगर
बिस्मिल्लाह की बरकतसे अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ
हमारे  पुरे  बदन को  पाक फरमा  देगा  और
जैसाकी मजकूर हुआ कि वुजू के जरिये गुनाह
झडते है  लिहाज़ा वुजू से पहले  बिस्मिल्लाह
पढ़  लेने  से  अल्लाह  عَزَّ وَجَلَّ  हमारे  पुरे
बदन से गुनाहों को मिटा देंगा।
दूसरी हदीस में फर्माया गया कि जिसने वुजूसे
पहले बिस्मिल्लाह नपढ़ी उसका वुजू कामिल
नहीं  यानी  उसका वुजू तो  हो जाएगा  मगर
वुजू के  जरिये  जो फ़ज़ाइल व फवाइद  उसे
हासिल होने वाले थे  वह उसे हासिल नहीं हो
सकेंगे।..... लिहाजा  वुजू  करने  से  कब्ल
    👈🏾 بسم الله الرحمن الرحيم 👉🏾
पढ़ने की आदत बना लें।  अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ
हमे  कहने सुनने  से  ज्यादा अमल करने  की
तौफ़ीक़ अता करे।
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.94
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

SDI Web Visit : www.sunnidawateislami.net
👇🏽इसे क्लिक करे और भी पोस्ट पढ़े👇🏽
       www.SDITeam.blogspot.in

     👉🏽 ज्यादा से ज्यादा शेयर करे 👈🏽
        〰 ✖ 〰 ✖〰✖ 〰 ✖ 〰

Saturday 24 September 2016

आला हज़रत – एक परिचय (ताआर्रूफ)

■ आला हज़रत – एक परिचय (ताआर्रूफ)
आला हजरत तहरीर फरमातें हैं… 
उन्‍हें जाना, उन्‍हें माना, न रखा गैर से काम 
लिल्‍लाह हील-हम्‍द मैं दुनिया से मुसलमान गया 

ला-वरब्‍बील अर्श जिसको जो मिला उनसे मिला 
बटती हैं कौनैन में नेमत रसुलअल्‍लाह कि 

वोह जहान्‍नम में गया जो उनसे मुस्‍तग्‍नी हुवा 
है खलिलुल्‍लाह को हाजत रसुलअल्‍लाह  कि 

और 

या रसुलअल्‍लाह 
तेरी नस्‍ले पाक में हैं बच्‍चा बच्‍चा नुर का 
तु है ऐन-ए-नुर तेरा सब घराना नुर का 

इमाम अहलेसुन्‍नत, मुजद्दीद-ए-दीन व मिल्‍लत, अश्‍शाह अलमुफ्ती, अलहाफिज, अलकारी आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ कादरी फ़ाज़िले बरेलवी रदीअल्‍लाहुअन्‍हु ऐसी शख्सियत का नाम-ए-नामी है जिन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी खिद्मते दीन और मज़हब-ए-इस्लाम की इशाअत में गुज़ारी और जिन की पूरी ज़िन्दगी इश्क़े रसूल में सरशार रही। आप पैकरे इश्‍क थे, पुरी जिंदगी नबी कि अजमत व शान पर निसार करदी और लिख्‍ते हैं … 

अल्‍लाह कि सर-ता-ब-कदम शान हैं ये 
इंसा नही इंसान, वोह इंसान हैं ये 
कुर्आन तो इमान बताता हैं इन्‍हें 
इमान ये कहता हैं मेरी जान हैं ये 
(यानी रसुलअल्‍लाह 

सुब्‍हान अल्‍लाह हुजूर कि सच्‍ची मुहब्‍बत और रब तआला कि रजा यही दिन-ए-इस्‍लाम का सच्‍चा खुलासा हैं और यही अकिदाह जो हुजूर अलैहीस्‍सलाम, सहाबा, अ‍हलेबैत, ताबईन, आईम्‍मा, औलीया, उल्‍मा और अल्‍लाह के नेक व महबुब बंदो का हैं आला हजरत ने पेश किया, जिसे अहलेसुन्‍नत वल-जमाअत कहते हैं (और आज कल कुछ लोगों ने अवाम को गुमराह करनें के लिए खुद को अहलेसुन्‍नत कहते हैं इस लिए जरूरी हैं के अहलेसुन्‍नत कि सही शनाख्‍त व पहचान के लिए बरेलवी या मस्‍लक-ए-आलाहजरत इस्‍तेमाल किया जाए) 

: पैदाइश
आलाहज़रत इमाम अहमद रज़ा खाँ की पैदाइश 10, शव्वालुल्मुकर्रम (ईदुल्फ़ित्र) 1272, हिजरी मुताबिक़ 14, जून 1856, ईसवी हफते के दिन बरेली शहर के मुहल्ला जसोली में हुई। बचपन ही से आपकी पेशानी पर नूर की किरनें चमक रहीं थीं जिसे अहल-ए-नज़र ने देखा और यह निशानदिही करी कि यह बच्चा इल्मो फ़ज़्ल का आफ़ताब बनकर चमकेगा। 

: तालीम : 
आलाहज़रत ने तालीम हासिल करने के लिए किसी मदरसे में दाखिला नहीं लिया बल्कि आपने तमाम उलूम अपने वालिद हज़रत मौलाना नक़ी अली खाँ से हासिल किए, आपने तकरीबन 55 से ज़्यादा उलूमों पर महारत हासिल की और एक हज़ार से ज़्यादा किताबें लिख़ीं । आपने तक़रीबन 54, साल फ़तवा लिखने की अज़ीम खिदमात अन्जाम दी, आपके फ़तवों की किताब का नाम ‘‘ अल अतायन नबविया फ़िल फ़ताव-ए-रज़विया ’’ है, आपने जहाँ दीनी व मज़हबी किताबे इस क़ौम को इनायत फ़रमाईं वहीं आपने साइन्स वग़ैरह पर भी किताबे लिखीं, इल्मे रियाज़ी (गणित) में आपकी महारत का अन्दाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि डा. ज़िय उद दीन वाइस चाँसलर अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी एक बार गणित के किसी सवाल में उलझ गए, हज़ार कोशिशों के बावुजूद वह सवाल हल न हो सका तो इसके लिए उन्होंने जर्मनी जाने का इरादह किया लेकिन उनके दोस्त मौलाना हशमतुल्लाह साहब ने इस बारे में उन्हें आलाहज़रत से मिलने को कहा दोस्त के कहने पर वह आलाहज़रत की बारगाह में हाज़िर हुए और वह सवाल रखा, आलाहज़रत ने बहुत कम वक्त में उस सवाल को हल कर दिया, यह देख कर डा. ज़िया उददीन हैरान रह गए और यह कहने लगे कि ‘‘ यह हस्ती तो ‘‘ नोबल प्राइज़ ’’ की मुस्तहिक़ है ’’। 

आप हर इल्म को र्क़ुआन व हदीस की रौशनी में परखते थे, अगर उसके मुताबिक होता तो क़ुबूल करते नही तो रद फ़रमाते थे। आपने पूरी ज़िन्दगी इश्के रसूल और सून्नते रसूल  का चर्चा किया इसका सिला आपको सह मिला कि आज पूरी दुनिया में आपका और आपकी खिद्मात का चर्चा हो रहा है, आपने वह अज़ीम काम अन्जाम दिए जिसको दुनिया कभी फ़रामोश नहीं कर सकती। 

: ग़रीबों की मदद : 
आप हमेश ग़रीबों की मदद किया करते थे, आपके दर से कोई भिकारी ख़ाली नहीं जाता था, बेवा औरतों की मदद के लिए और ज़रूरत मन्दों की हाजत पूरी करने के लिए आपकी जानिब से माहाना वज़ीफ़े मुक़र्र थे, सर्दियों में आप रज़ाइयाँ तैयार करवाकर बंटवाया करते थे। 

: समाज में सुधार : 
आलाहज़रत फ़ाज़िले बरेलवी की एकहैसियत समाज सेवी की भी थी, ऐसे वक्त में जब मुस्लिम मुआशरह मज़हबी बिगाढ़ से दो चार था, ऐसे दौर में फ़ाज़िले बरेलवी न न सिर्फ यह कि समाज की ख़राबियों को महसूस किया, बल्कि एक समाज सेवी के तौर पर आपने उन ख़राबियों को दूर किया। 

: हज : 
आपने अपनी ज़िन्दगी में दो मर्तबा हज फ़रमाया, पहली बार 1878 ईसवी में अपने वालिद माजिद के साथ हज को तशरीफ़ ले गए, और दूसरी मर्तबा 1905 ईसवी में फ़रमाया, इस मौक़े पर वहाँ बड़े बड़े उलमा ने आपकी बेहद इज़्ज़त फ़रमाई। 

: विसाल : 
आला हज़रत का विसाल 25, सफ़र 1340, हिजरी मुताबिक़ 28, अक्तूबर 1921, ईसवी को जुमे के दिन 2, बजकर 38 मिनट पर हुआ.

Thursday 22 September 2016

🏽हुजूर का वुजू पार्ट-2, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 12, बरकाते शरीअत पोस्ट -020

बरकाते शरीअत पोस्ट -020
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 12

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

       👇🏽हुजूर का वुजू पार्ट-2👇🏽
अल्लामा यहया बिन शर्फ़ नववी लिखते है : दीगर अहादीस में पाचं नमाजें उनके दरमियान होने वाले गुनाहों के लिये कफ़्फ़ारा है, एक जुम्मा से लेकर दूसरे जुम्मा तक जुम्मा की नमाज़ कफ़्फ़ारा है, और एक रमज़ान से दूसरे रमज़ान तक रमज़ान कफ़्फ़ारा है। अब सवाल यह है कि जब वुजू से गुनाहों का कफ़्फ़ारा हो गया तो नमाज़ से किस चीज का कफ़्फ़ारा होगा ? और जब पांच नमाज़ों से कफ़्फ़ारा हो गया तो जुम्मा की नमाज़ से किस चीज का कफ़्फ़ारा होगा ? और जब जुम्मा से कफ़्फ़ारा हो गया तो रमजान से किस चीज का कफ़्फ़ारा होगा ? इसी तरह अरफा के दिन रोज़ा भी दो साल के गुनाहों का कफ़्फ़ारा है और आशूरा का रोज़ा एक साल का कफ़्फ़ारा है और जब किसी शख्स की आमीन मलाइका की आमीन के मुवाफ़िक हो जाए तो उसके तमाम पिछले गुनाहों की मगफिरत हो जाती है।

इस सवाल का उलमा ने यह जवाब दिया है कि यह तमाम इबादात गुनाहों का कफ़्फ़ारा होने की सलाहियत रखती है अगर उसके सगीरा गुनाह हों तो इनसे मगफिरत हो जाती है और अगर उसके सगीरा और कबीरा गुनाह न हों तो उसकी नेकियां लिख दी जाती है और उसके दरजात बुलंद कर दिये जाते है और अगर सगाइर न हो और कबाइर हों तो उम्मीद है कि उसके कबाइर में तख़फ़ीफ़ हो जाए।
(📚 शहरे मुस्लिम शरीफ : 1/ 878)

लिहाजा हमें भी अच्छी तरह वुजू करना और हमेशा बावुजू रहने की कोशिश करनी चाहिये ताकि इसके जरिये हमें बेशुमार फ़ज़ाइल व फवाइद हासिल हो सकें।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुननेसे ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.93
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

SDI Web Visit : www.sunnidawateislami.net
👇🏽इसे क्लिककरे और भी पोस्ट पढ़े👇🏽
     www.SDITeam.blogspot.in

     👉🏽 ज्यादा से ज्यादा शेयर करे 👈🏽
〰 ✖ 〰 ✖〰✖ 〰 ✖ 〰

Sunday 18 September 2016

🏽हुजूर का वुजू पार्ट-1, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 11, बरकाते शरीअत पोस्ट -019

👉🏽 बरकाते शरीअत पोस्ट -019
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 11

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

        👇🏽हुजूर का वुजू पार्ट-1👇🏽

हजरत  उस्मान رَضِىَ  اللّٰهُ  تَعَالٰى عَنٔه  के
खादिम हिमरान कहते है, कि  हजरत उस्मान
ने वुजू के लिये पानी मंगवाया और वुजू करना
शुरू किया।  पहले अपनी हथेलियों को  तिन
मर्तबा धोया।  फिर  कुल्ली की  और नाक में
पानी डाला फिर तिन बार अपने चेहरे को धोया
फिर  दायां हाथ  कोहनी तक  तीन बार धोया
फिर इसी तरह बायां हाथ कोहनी तक तीन बार
धोया  फिर अपने  सर का  मसह  किया फिर
दायां पैर टखनों तक तीन बार धोया फिर इसी
तरह बायां पांव तीन बार धोया  फिर उन्हों ने
कहा जिस तरह  मैंने वूजू किया है  इसी तरह
मैंने  रसूलुल्लाह صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم को
वुजू  करते  हुए  देखा है।  वुजू करने  के बाद
रसूलुल्लाहصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने फर्माया
जो शख्स मेरे इस तरीके के मुताबिक वुजू करे
फिर दो रकअत नमाज़ पढ़े और दौराने नमाज़
सोच-विचार  न करे  तो उसके  तमाम पिछले
गुनाह माफ़ कर दिये जाते है। इब्ने शिहाब ने
कहा, हमारे  उलमा  कहते  है  कि  नमाज़ के
लिये जो वुजू  किये  जाते है  उन  सबमें  यह
कामिल तरीन वुजू है।
(📚 मुस्लिम शरीफ, किताबुत्-तहारत)

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! सरकारे दो आलम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمको अल्लाह عَزَّ وَجَلَّने तालीमे
उम्मत के लिये मबऊस फ़रमाया, उन्होंने हमें
सारे मामलात में  शरई  अहकाम की  तालीम
फ़राहम  की  है।   आपने  खुद  वुजू  कर  के
दिखाया और फ़रमाया कि जो शख्स भी इस
तरह करे  फिर  उसके  बाद  नमाज़  पढ़े  तो
अल्लाह तआला उसके तमाम गुनाह माफ़ कर
देता है जो उसने  इस नमाज़ से पैवस्ता दूसरी
नमाज़ के दरमियान किये थे।
         👉🏾 बाकी आइन्दा कल 👈🏾

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुननेसे ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.92
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
SDI Web Visit : www.sunnidawateislami.net
👇🏽इसे क्लिककरे और भी पोस्ट पढ़े👇🏽
     www.SDITeam.blogspot.in
     👉🏽 ज्यादा से ज्यादा शेयर करे 👈🏽
〰 ✖ 〰 ✖〰✖ 〰 ✖ 〰

Wednesday 7 September 2016

इतनी नादानी ? तअज्जुब है ।

इतनी नादानी ?

तअज्जुब है ।

जब से होश संभाला है तब से अब तक कई बार
मरहुमीन के तीजा, दहुम, चेहलुम व बर्सी के मौके
पर होने वाली फातिहा ख्वानी में शिरकत हुई,
शरीक होना भी चाहिये कि ये कारे सवाब है,
लेकिन ये देख कर दिल जलता और अक़ल हैरान
रह जाती है कि, आज भी मुसलमान इल्मे दीन
व क़ानूने इसलाम से बहुत दूर हैं, और इसी वजह
से गैर इस्लामी रुसूमात अपनाये हुये हैं, आज भी
मैं एक जगह फातिहा में शरीक हुवा, देखता क्या हुं
कि फातिहा के लिये जहां एक बरतन में खाना रखा
गया था, वहीं दूसरी तरफ जिस बकरे को इसाले सवाब
का खाना बनाने के लिये ज़बह किया गया उसी बकरे
की मुंडी, पैर, और चमडा भी रखा हुवा है, मैं हैरत
से इन चीज़ो को देखता रहा, फिर देखा कि साथ ही
मरहूम के कपडे, बिस्तर, और दीगर कुछ चीजें भी
रखी हुई हैं, और हैरत की इन्तिहा तो तब हुई, जब नज़र खैनी (तंबाकू) की पुडी पर पड़ी,

मेरे भाईयो, आपने भी इस तरह देखा होगा, क्या ये
गैर मुस्लिमों का रिवाज नहीं, क्या यही तरीक़ा है
इसाले सवाब का ?, क्या फातिहा के लिये ये चीजें
दरकार हैं ? याद रखो मरहूम के लिये अब तुम्हारे
लिबास, बिस्तर, बकरे के सर और पैर, खैनी व
तंबाकू की कोई हाजत नहीं, बल्की वो तो मोहताज
है तुम्हारी दुआओं का, क़ुरआन की तिलावत
नमाज़ व रोज़ों के सवाब का, सदक़ा व खैरात से
मिलने वाली नेकियों का, लिहाज़ा फुज़ूल व बेकार
रस्म व रिवाज से बचो, शरई दायरे में रहते हुये
अपने मरहुमीन के लिये, सदक़ा व खैरात के
ज़रीये, गरीबों मिस्कीनों को खाना खिला कर,
दीनी मदरसों में कीताबें देकर, मस्जिदों की
तामीर मे हिस्सा लेकर उसका सवाब मरहूमीन को
पहुंचाये, और इसाले सवाब की महफिलों और
फातिहा खानी को गैर इस्लामी रुसुमात व फुज़ूल
चीज़ों से पाक रखो, 


👇🏽इसे क्लिककरे और भी पोस्ट पढ़े👇🏽
       www.SDITeam.blogspot.in

     👉🏽 ज्यादा से ज्यादा शेयर करे 👈🏽

गुनाह मिटाने का जरिया, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 10, बरकाते शरीअत पोस्ट -018

बरकाते शरीअत पोस्ट -018
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 10


🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ
       

👇🏽गुनाह मिटाने का जरिया👇🏽

हजरत  अबू  हुरैरा رَضِىَ  اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه
बयान करते  है  कि हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने इरशाद फर्माया क्या मैं तुम्हें ऐसी
इबादत न बताउं जिससे तुम्हारे गुनाह मिट
जाएं  और जिस से  तुम्हारे दरजात बुलंद
हो जाएं ? सहाबा ने  अर्ज किया,  क्यों  नही
या रसूलुल्लाह ! आपने फ़रमाया : तकलीफ
के  वक़्त  मुकम्मल  वुजु  करना,   ज्यादा
क़दम  चल कर मस्जिद की  तरफ  जाना
और एक नमाज़ के बाद दूसरी नमाज़ का
इन्तिजार  करना, तुम  इन चीजों के  पांबद
हो जाओ।
📚( मुस्लिम शरीफ, किताबुत-तहारत )

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो !  इस  हदीस में  तीन चीजों को
गुनाहों की  बख्शीश का  जरिया  और सबब
बताया गया है: 1-तकलीफ के वक़्त अच्छी
तरह वुजु करना। तकलीफ के वक़्त से मुराद
कोई ऐसा मरहला हो कि वुजु करना दुशवार हो
मसलन्  ठंडी की मौसम  कि उसमें  बदन पर
पानी बहाना दुशवार होता है 2- मस्जिद की
तरफ ज्यादा  क़दम चल कर जाना,  यानी
नमाज़ के लिये दूरतक चलना 3-एक नमाज़
के बाद दूसरी नमाज़ का इन्तिजार करना
यह  ऐसे  आमाल हैं  कि  अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ
इन की बरकत से गुनाहों को  मिटाता है  और
दरजों को बुलंद फ़रमाता है क्योंकि दुनिया में
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ ने हमें आजमाइशके लिये
पैदा फर्माया है, दुनिया हमारे लिये आजमाइश
-गाह  है,  जिन्दगी  के  हर  मोड  पर  हमारा
इम्तिहान होरहा है लिहाजा अल्लाहعَزَّوَجَلَّ
की रज़ा के लिये अगर हम तक्लीफ के मरहले
में  भी  उसकी  इताअत  व फरमांबर्दारी  की
गरजसे अच्छी तरह वुजु करेंगे तो गोया हमने
इस बात का इजहार किया कि हमने अल्लाह
के  हुकम के सामने हर हाल में  अपनी  गर्दन
डालने के  लिये  तैयार  है,  गोया  हम  अपने
इम्तिहान में कामयाबी की राहपर हैं और जब
हम दुनिया के इम्तिहान में कामयाब हो जाएंगे
तो  इन्शाअल्लाह ...! ! ! !   आखिरत  में  भी
कामयाबियों से  हमकिनार होंगे।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.91
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
 
SDI Web Visit : www.sunnidawateislami.net
👇🏽इसे क्लिककरे और भी पोस्ट पढ़े👇🏽
       www.SDITeam.blogspot.in

     👉🏽 ज्यादा से ज्यादा शेयर करे 👈🏽
〰 ✖ 〰 ✖〰✖ 〰 ✖ 〰

दरजे बुलंद होते हैं, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 09, बरकाते शरीअत पोस्ट -017

बरकाते शरीअत पोस्ट -017
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 09


🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ
           👇🏽दरजे बुलंद होते हैं👇🏽



हजरत अबू हुरैरा رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से
रवायत है  कि हुजूर صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم
ने इरशाद फ़रमाया तुम मेँ जब कोई अच्छी
तरह वुजु करके सिर्फ नमाज़ के  इरादे से
मस्जिद आता है तो वह जितने क़दम भी
चलता है अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हर क़दम  के
बदले उस के दर्ज़े बुलंद करता है और हर
क़दम के  बदल  उसके  गुनाह  मिटाता है
जब तक वो मस्जिद में दाखिल न होजाए
📚 ( इब्ने माज़ा : 1 /24 )

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो  इस  हदीस से  यह बात वाजेह
होती  है  कि  हमें  अपने  घर से  वुजु  करके
मस्जिद की  तरफ जाना ज्यादा फ़ज़ीलत का
हामिल है  कि घर से मस्जिद तक हम जितने
क़दम चलेंगे  अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ  हमारे इतने
गुनाहों को  मिटा देगा  और हमारे  दर्जात को
उतना ही बुलंद फरमा देगा।  लिहाजा नमाज़
के लिये जब मस्जिद की तरफ जानेका इरादा
हो तो घर ही से वुजु करके चलें।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.90
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

 SDI Web Visit : www.sunnidawateislami.net
 👇🏽इसे क्लिककरे और भी पोस्ट पढ़े👇🏽
       www.SDITeam.blogspot.in

     👉🏽 ज्यादा से ज्यादा शेयर करे 👈🏽
〰 ✖ 〰 ✖〰✖ 〰 ✖ 〰

जन्नत में क़दमो की आहट, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 08, बरकाते शरीअत पोस्ट -016

बरकाते शरीअत पोस्ट -016
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 08

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

    👇🏽जन्नत में क़दमो की आहट👇🏽

एक दिन सुबह को  हुजूरे अक़्दस صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने  हजरत  बिलाल को  बुलाया
और फर्माया, ए  बिलाल ! किस  अमल के
सबब  जन्नत में  तू मुझ से आगे-आगे जा
रहा था !  मैं  रात  जन्नत में गया  तो  तेरे
पावं की  आहत  अपने आगे पाई। हजरते
बिलाल رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔهने अर्ज़ किया
या रसूलल्लाह !  मैं जब अज़ान कहता हूं
उसके बाद दो रकअत नमाज़ पढ़ लेता हूं
और मेरा जब कभी वुजु टूटता हैं  तो वुजु
कर लिया करता हूं।

सरकारे मदीना صَلَّى اللّٰه ُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने
इरशाद फ़रमाया, इसी सबब से।
📚 ( बहारे शरीअत : 2 /10 )

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! इस हदीस से पता चलता है कि
हजरत  बिलाल رَضِىَ اللّٰهُ  تَعَالٰى عَنٔه  दो
चीजों के पाबंद थे  जिसकी वजह से सरकारे
मदीना صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم ने  जन्नत में
उनके क़दमो की आहत अपने आगे-आगे पाई
*1-* अज़ान के बाद दो रकअत नमाज़ (नफल)
पढ़ना ।  *2-* हमेशा  बा वुजु  रहना।  हम  भी
अगर इन दो चीजों के पाबंद हो जाऐं तो हमें भी
इन्शा अल्लाहु   तआला   उन की  बरकत  से
बे सुमार  फ़ज़ाइल व फवाइद  हासिल  होंगे।
हदीस शरीफ में  तो वुजु की मुहाफजत और
हमेशा  बावुजु  रहने  को  ईमान  की  कसौटी
करार   दिया   गया  है।   अल्लाह   के   प्यारे
रसूलصَلَّىاللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّمने इरर्शाद फर्माया
वुजु की हिफाज़त सिर्फ मोमिन करता है।
📚 (सुनन इब्ने माज़ा :24)

लिहाज़ा हमेशा बा वुजु रहने की कोशिश करें
ताकि ईमान की कसौटी पर खरे उतर सकें और
मज़कूरा फ़ज़ाइल व फवाइद हासिल हो सकें।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.90
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

      
SDI Web Visit : www.sunnidawateislami.net
👇🏽इसे क्लिककरे और भी पोस्ट पढ़े👇🏽
       www.SDITeam.blogspot.in

     👉🏽 ज्यादा से ज्यादा शेयर करे 👈🏽
〰 ✖ 〰 ✖〰✖ 〰 ✖ 〰

Thursday 1 September 2016

🏽दस नेकियां, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 07, बरकाते शरीअत पोस्ट -015

बरकाते शरीअत पोस्ट -015
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 07

🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ


             👇🏽दस नेकियां👇🏽

तिर्मिज़ी    ने     हजरत    अब्दुल्लाह    बिन
उमर رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه से  रवायत की
रसूलुल्लाहصَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم नेफर्माया
" जो शख्स वुजु पर वुजु करे उसके लिये दस नेकियां लिखी जाएंगी। "
📚 ( मिश्कात शरीफ : 39, तिर्मिज़ी )

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! वुजु करने में हमारा कोई ज्यादा
वक़्त सर्फ नहीं होता,  थोड़ी सी  मेहनत और
दस नेकियां  हासिल  हो रही है।  कल बरोजे
कयामत  हमे नेकियों की  किस  कदर जरूर
होगी कि उनकी कमी या ज्यादती हमारे लिये
जहन्नम या जन्नत का सबब बनेंगी, वुजु पर
वुजु करने का मतलब यह है कि वुजु  होने के
बावुजूद  दोबारा  वुजु कर लेना।  अगर  कोई
शख्स   ऐसा  करता  है   तो   हुजूर  नबी  ए
करीम صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم के फरमान के मुताबिक उसे दस नेकियां  अता की जाएंगी।
लिहाज  कोशिश करे  कि हर नमाज़ के लिये
नया वुजु कर लिया करें।

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.89
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी

SDI Web Visit : www.sunnidawateislami.net
👇🏽इसे क्लिककरे और भी पोस्ट पढ़े👇🏽
       www.SDITeam.blogspot.in

     👉🏽 ज्यादा से ज्यादा शेयर करे 👈🏽
〰 ✖ 〰 ✖〰✖ 〰 ✖ 〰