Friday 12 May 2017

इल्मे दीन हिस्सा-3


हिस्सा-3   इल्मे दीन

* अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क़ुरान मुक़द्दस में इरशाद फरमाता है कि "अल्लाह तुम्हारे ईमान वालों के और उनके जिनको इल्म दिया गया है दर्जे बुलंद फरमायेगा

📕 पारा 28,सूरह मुजादिला,आयत 11

* हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि "आलिम की फज़ीलत आबिद पर ऐसी है जैसी मेरी फज़ीलत तुम्हारे अदना पर

📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 244

* जो इल्मे दीन के लिए चलेगा तो फरिश्ते उसकी राह में अपना पर बिछा देते हैं और उनके लिए ज़मीनों आसमान की हर चीज़ यहां तक कि पानी में मछलियां भी मग़फिरत की दुआ करती हैं और आलिम की फज़ीलत आबिद पर ऐसी है जैसी चौदहवीं रात के चांद की फज़ीलत सितारों पर होती है और उल्मा अम्बिया के वारिस हैं

📕 अबु दाऊद,जिल्द 3,सफह 99

* अल्लाह तआला जिसके साथ भलाई का इरादा करता है तो उसे दीन की समझ (फिक़ह) अता फरमाता है

📕 बुखारी,जिल्द 1,सफह 137

* एक आलिम शैतान पर 1000 आबिदों से ज़्यादा भारी है

📕 तिर्मिज़ी,जिल्द 2,सफह 242

* बेहतरीन इबादत फिक़ह है,फिक़ह के बग़ैर कोई इबादत नहीं और फक़ीह की मजलिस में बैठना 60 साल की इबादत से बेहतर है

📕 कंज़ुल उम्माल,जिल्द 10,सफह 100

*सोचिये जिनका मर्तबा खुदा बुलंद फरमा रहा है,जो अम्बिया के वारिस हैं,जिनके लिए दुनिया की हर चीज़ मग़फिरत की दुआ करती है,जिनका मर्तबा इबादत गुज़ार बन्दों पर ऐसा है जैसा कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम का मर्तबा उनके अदना उम्मती पर,उन आलिमों की शान में आज की जाहिल अनपढ़ अवाम बकवास करती है,याद रखें*

* जिसने किसी आलिम की तौहीन इस बिना पर की कि वो आलिमे दीन है काफिर है

📕 अनवारुल हदीस,सफह 91

* उसूले शरह चार हैं 1.क़ुरान 2.हदीस 3.इज्माअ यानि फिक़ह 4.क़यास जो इनमे से किसी एक एक का भी इंकार करे काफिर है

📕 फतावा मुस्तफविया,सफह 55

*फिक़ह का बयान आगे करूंगा इन शा अल्लाह तआला,एक आलिम और आबिद में क्या फर्क है उसको जानने के लिए ये रिवायत पढ़िये*

* एक दिन अस्र के बाद इब्लीस ने पानी पर अपना तख्त बिछाया और सभी शैतानो से उनके काम की रिपोर्ट लेने लगा,किसी ने कहा कि मैंने लोगों को बहकाकर शराब पिलवाई किसी ने कहा मैंने ज़िना करवाया किसी ने कहा मैंने बन्दों को नमाज़ से रोक दिया,इब्लीस सब की सुनता रहा फिर एक ने कहा कि आज मैंने एक बच्चे को इल्मे दीन सीखने से रोक दिया तो इस पर इब्लीस उछल पड़ा कि हां तूने बड़ा काम किया,इस पर बाकी शैतानों ने ऐतराज किया कि हमने इतना बड़ा बड़ा काम किया और कोई तारीफ नहीं और इसने एक बच्चे को इल्म से रोक दिया तो इतनी खुशी क्यों,इस पर इब्लीस बोला कि तुमने जिसको बहकाया वो इल्म से कोरे थे अगर उनके पास इल्म होता तो कभी वो तुम्हारे बहकावे में ना आते,अगर तुम्हे इल्म की फज़ीलत समझनी है तो चलो मेरे साथ मैं समझाता हूं,वो सबको लेकर एक मस्जिद के बाहर अंधेरे में खड़ा हो गया,फज्र का वक़्त था एक आबिद साहब पहुंचे उसने उनको रोका सलाम जवाब हुआ फिर इब्लीस ने मसला पूछने की गर्ज़ से अपनी जेब से एक शीशी निकाली और उनसे कहा कि क्या अल्लाह तआला इस शीशी के अंदर सातों ज़मीन आसमान को दाखिल कर सकता है,तो आबिद साहब कहने लगे कि कहां ये छोटी शीशी और कहां इतना बड़ा ज़मीनों आसमान ये नहीं हो सकता,ये कहकर वो चले गए इब्लीस ने कहा कि देखो मैंने इसकी राह मार दी इसको जब खुदा की कुदरत पर ही भरोसा नहीं है तो इसकी इबादत बेकार है,फिर वो कुछ देर रुका रहा कि अचानक एक आलिम साहब जल्दी जल्दी बढ़ते हुए मस्जिद की तरफ चले आ रहे थे,उसने रोका सलाम किया मसला पूछना चाहा तो वो फरमाते हैं कि फज्र का वक़्त बहुत कम है जल्दी पूछो,इस पर उसने वही शीशी निकाली और वही सवाल पूछा तो आलिम साहब ने फरमाया कि ज़रूर तू मलऊन मालूम होता है मेरा रब क़ादिरे मुतलक़ है अरे ये शीशी तो बहुत बड़ी है अगर वो चाहे तो सातों ज़मीन आसमान क्या चीज़ है करोड़ों ज़मीन आसमान सूई के नाके के अंदर समां दे,ये कहकर वो चले गए तो इब्लीस अपने चेलों से कहता है कि देखो ये इल्म की बरकत है तो जिसने इल्म से किसी को रोक दिया उसने सबसे बड़ा काम किया

📕 मलफूज़ाते आलाहज़रत,जिल्द 3,सफह 21

*इससे तीन बातें साबित हुई पहली ये कि आलिम आबिद से बेहतर है दूसरा ये कि आलिम से डरना या उनसे बुग्ज़ रखना शैतानी काम है तीसरा ये कि बग़ैर इल्म के इबादत भी खतरे में है,लिहाज़ा इल्मे दीन हासिल करें*

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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in