Tuesday 9 May 2017

Wazayaf


***** Wazayaf *****

* जो भी काम शुरू करें वो पूरा ना होता हो या किसी भी मुश्किल का हल ना निकलता हो तो बाद नमाज़े मग़रिब 1000 बार "या रशीदो" يا رشيدُ पढ़ें,इन शा अल्लाह उसका हल निकल आयेगा और अगर हमेशा पढ़ता रहे तो सारे जायज़ काम खुद बखुद पूरे होते जायेंगे और रोज़गार में भी खूब तरक़्क़ी होगी

📕 रूहानी इलाज,सफह 150

* जिस किसी के सीने में दर्द हो तो सूरह "अलम नशरह" लिखकर धोकर पिलायें दर्द दफअ होगा इन शा अल्लाह

📕 शम्ये शबिस्ताने रज़ा,सफह 412

* जो कोई एक बार दुरूदे सआदत "अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्यदना व मौलाना मुहम्मदिन अदादा माफी इलमिल लाहे सलातन दा---एमातम बिदावामे मुल्किल लाह" اللهم صلى على سيدنا محمّد عدد مافى علم الله صلوة دآيمةً بداوام ملك الله पढ़ता है तो 6 लाख दुरूदे पाक का सवाब उसके नामये आमाल में लिखा जाता है

📕 खज़ीनये दुरूद शरीफ,सफह 234

* जो कोई सुबह और शाम को ये दुआ "अल्लाहुम्मा लकल हम्दो हम्दन दा--एमन मअ दवामेका व लकल हम्दो हम्दन खा-लेदन मअ खुलूदेका व लकल हम्दो हम्दल लामुन्तहा लहु दूना मशीय्यतेका व लकल हम्दो हम्दन इन्दा कुल्ले तरफते अैनिवं व तनफ्फोसे कुल्ले नफ्स" اللهم لك الحمد ححمدا دا~ىما مع دوامك ولك الحمد حمدا خالدا مع خلودك ولك الحمد حمدا اللآمنتهى له دون مشىتك ولك الحمد حمدا عند كل طرفة عين وتنفس كل نفس  सिर्फ 1 बार पढ़ लेगा तो फज़ले रब्बी से दिनों रात इबादत करने वाले को जितना सवाब मिलता है इस दुआ के पढ़ लेने वाले को उतना सवाब मिल जायेगा इन शा अल्लाह,याद रखें कि आधी रात ढलने के बाद से सूरज निकलने तक सुबह है और दोपहर ढलने से ग़ुरूब आफताब तक शाम है

📕 सोलह सूरह,सफह 234

* जो कोई हर नमाज़ के बाद पारा 19 सूरह फुरक़ान आयत नं0 74 "रब्बना हबलना मिन अज़वाजेना व ज़ुर्रीयातेना क़ुर्रता आय्योनिवं वजअलना लिल मुत्तक़ीना इमामा" ربنا هب لنا من ازواجنا وذريتنا قرة اعين واجعلنا للمتقينا
اماما  आयत 1 बार पढ़ लिया करे तो उसके बीवी बच्चे सब ही दीनदार हो जायेंगे इन शा अल्लाह

📕 मसाएलुल क़ुरान,सफह 283

* जिनकी आंखों की रौशनी कमज़ोर हो गई हो वो पांचों नमाज़ों के बाद 11 बार "या नूरो" يا نورُ पढ़कर दोनों हाथों के पोरों पर दम करके आंखों पर रखें

📕 जन्नती ज़ेवर,सफह 476

* आमन्तो बिल्लाहे व रसूलेही" آمنت بلله ورسوله पढ़ने से वस्वसे फौरन ही दूर हो जाते हैं

📕 अलमलफूज़,हिस्सा 1,सफह 71

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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in