Sunday 16 October 2016

🏽वुजू के बाद क़्या पढ़ना चाहिए, वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 26, बरकाते शरीअत पोस्ट 34

 बरकाते शरीअत पोस्ट 34
👉🏽 वुजु के फ़ज़ाइल पार्ट 26
🔹بسم الله الرحمن الرحيم
🔹الصــلوةوالسلام‎ عليك‎‎يارسول‎الله
🔹ﷺ

  👇🏽वुजू के बाद क़्या पढ़ना चाहिए👇🏽

हजरत उक़बा बिनआमिरرَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه व हजरत उमर رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه
रवायत  करते  है  कि सरकारे मदीना  हुजूर
रहमते आलम صَلَّى  اللّٰه ُ عَلَئهِٖ  وَسَلَّم  ने
इरशाद  फ़रमाया : जो  शख्स  अच्छी तरह
वुजू करे फिर यह कहे :

اَشْھَدُ اَنْ  لَّا‌ اِلٰہَ اِلَّا اللّٰہُ

و اَشْھَدُ اَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُہُ وَرَسُوْلُہُ

उसके लिये जन्नत के आठो दरवाजे खोल
दिये जाते है जिस दरवाजे से चाहे जन्नत
में दाखिल हो जाए।
📚 (मुस्लिम शरीफ, किताबुत-तहारत)

इसी तरह  हजरत उमर  बिन खत्ताब رَضِىَ اللّٰهُ تَعَالٰى عَنٔه  से  रवायत  है  कि  रहमते
आलम  صَلَّى  اللّٰهُ  عَلَئهِٖ وَسَلَّم  ने  इर्शाद
फर्माया " जिस शख्स ने अच्छी तरह वुजू
किया फिर कहा

اَشْھَدُ اَنْ لَّا‌ اِلٰہَ اِلَّا اللّٰہُ وَ اَشْھَد ُاَنَّ

مُحَمَّدًا عَبْدُہُ وَرَسُوْلُہُ  اَللّٰھُمَّ اجْعَلْنِیْ

مِنَ التَّوَّابِیْنَ وَ اجَعَلْنِیْ مِنْ الْمُتَطَھِّرِیْنَ

तर्जुमा :- में गवाही देता हु कि अल्लाह के
सिवा  कोई  मअबूद  नही  और  मुहम्मद صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  अल्लाह  के  बन्दे
और उसके रसूलहै, ए अल्लाह मुझे तौबा
करने वालों और पाक रहने वालो में बना
उस के लिये जन्नत के  आठो दरवाजे  खोल
दिये  जाएगे   वह  जिस से  चाहे  जन्नत  में
दाखिल हो जाए।
📚 (जामेअ तिर्मिज़ी : 9)

अल्लामा नुववी लिखतेहै इस हदीससे मालूम
हुआ कि वुजूके बाद कलिमए शहादत पढ़ना
मुस्तहब  है।  यह  मुत्तफक  अलैह  है   और
बेहतर  है  कि  उस के  साथ  मुत्तसिलन  यह
जिक्र भी मिला लिया जाए

اَللّٰھُمَّ اجْعَلْنِیْ مِنْ التَّوَّابِیْنَ

              وَ اجَعَلْنِیْ مِنْ ا لْمُتَطَھِّرِیْنَ

जैसा कि जामेए तिर्मिज़ीमें है और मुस्तहब
ये है कि इसके साथ यह जिक्रभी मिला लिया
जाए
" سُـــبْـحَـانـَكَ الـلـّٰھـُمَّ وَ بِحـَمـْدِكَ

أَشــْھَـدُأَنْ لاَ إِلــٰهَ إِلَّا  اَنْتَ وَحْدَكَ

لَا شَرِكَ لَكَ أَســْتـَغـْفـِرْكَ وََأَتُوْبُ إِلَـىْـكَ"

जैसाकी इमामनसाईने अमलुलयौम वल्लैल
में रवायत किया है  हमारे असहाब ने कहा है
कि यह अज्कार गुस्ल करने वाले के लिये भी
मुस्तहब हैं।
📚 (शरहए सहीह मुस्लिम :1 /880)

मेरे प्यारे आक़ा  صَلَّى اللّٰهُ عَلَئهِٖ وَسَلَّم  के
प्यारे दीवानो ! मज़कूरा अज्कारके बाद सूरए
" इन्ना अन्जलना " पढ़ना भी मुस्तहब और
फ़ज़ाइल का  हामिल  है,  लिहाजा  हमें  वुजू
करने के  बाद  मज़कूरा  अज्कार  नीज सुरए
इन्नाअन्जलना पढ़नेकी आदतबनानी चाहिए

अल्लाह عَزَّ وَجَلَّहमे कहने सुनने से ज्यादा
अमल करनेकी तौफ़ीक़ अता करे
📚हवाला: बरकाते शरीअत स.103
       अताए हुजूर मुफ़्तीए आजम हिन्द
  मौलाना  मोहम्मद  शाकिर  अली  नूरी
          अमीर ए सुन्नी दावते इस्लामी
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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in