Friday 28 April 2017

इल्मे दीन हिस्सा-1


 हिस्सा-1   इल्मे दीन

* अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त क़ुरान मुक़द्दस में इरशाद फरमाता है "ऐ लोगों इल्म वालों से पूछो अगर तुम्हे इल्म ना हो

📕 पारा 17,सूरह अम्बिया,आयत 7

* और अल्लाह के रसूल सल्लललाहो तआला अलैही वसल्लम इरशाद फरमाते हैं "इल्मे दीन सीखना हर मुसलमान मर्द व औरत पर फर्ज़ है

📕 इब्ने माजा,जिल्द 1,सफह 224

* इल्मे दीन की मजलिस में शामिल होना 1000 रकत नफ्ल पढ़ने से बेहतर है

📕 रुहुल बयान,जिल्द 10,सफह 221

* रात में एक घड़ी इल्मे दीन का पढ़ना पढ़ाना पूरी रात इबादत करने से बेहतर है

📕 अनवारुल हदीस,सफह 114

* जो इल्मे दीन के रास्ते पर है तो वो जन्नत के रास्ते पर है

📕 इब्ने माजा,जिल्द 1,सफह 145

* जो इल्मे दीन की तलब में हो और मौत आ जाये तो वो शहीद है

📕 क्या आप जानते हैं,सफह 583

* जो शख्स इल्मे दीन की तलब में है तो उसके रिज़्क़ का ज़ामिन अल्लाह है

📕 तारीखे बगदाद,जिल्द 3,सफा 398

* जिस ने इल्मे दीन इसलिए सीखा कि लोगों की इस्लाह करे तो ये उसके पिछले तमाम गुनाहों का कफ्फारह है

📕 मिरातुल मनाजीह,जिल्द 1,सफह 203

* एक सहाबिये रसूल हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की बारगाह में हाज़िर थे,मौला ने अपने महबूब सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम को वही की कि ऐ महबूब इस सहाबी की क़ज़ा का वक़्त आ चुका है चन्द साअत ही बाकी है,आप सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम ने उन्हें बता दिया पहले तो सहाबी परेशान हुए फिर अर्ज़ की कि या रसूल अल्लाह सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम अब जब कि मेरा वक़्त आ ही चुका है तो मुझे कोई ऐसा अमल बता दिया जाए कि मैं उसमे लगा रहूं और मुझे मौत आ जाये,तो अल्लाह के रसूल सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि "इल्मे दीन सीखने में मशगूल हो जाओ" कि सबसे बेहतर यही है,वो सहाबी इल्म की तलब में लग गए और उसी हालत में उन्हें मौत आई

📕 तफसीरे कबीर,जिल्द 1,सफह 410

ग़ौर कीजिये कि हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम सामने मौजूद हैं फरमा देते कि यही बैठे रहो और मुझे देखते रहो या ये कि हरम बगल में है जाओ तवाफ करना शुरू कर दो या ये कि मस्जिदे नब्वी में नमाज़ पढ़ना शुरू कर दो,मगर आपने ये सब ना फरमा के ये फरमाया की इल्मे दीन हासिल करने में लग जाओ तो इसी से इल्मे दीन की फज़ीलत का पता चलता है,मगर एक आज का मुसलमान है कि सब कुछ है उसके पास मगर इल्मे दीन से ही कोरा है,अब इल्मे दीन सीखने का ज़रिया क्या है ये भी जान लीजिए

1. मदरसा
2. कुत्ब बीनी
3. इल्म वालों की महफिल

मदरसा हम गए नहीं किताब हम पढ़ते नहीं और जलसों में हम जाते नहीं,तो अब इल्म क्या अल्लाह तबारक व तआला इल्हाम से हमारे दिल में डालेगा,नहीं नहीं नहीं,फिर भी Social media के इस ज़माने में facebook और whatsapp के ज़रिये अगर अल्लाह का कोई बन्दा घंटो मेहनत करने के बाद बैठे बिठाये मोबाइल पर एक islamic post भेज देता है तो लम्बा Msg है कहकर नीचे खसका दिया जाता है,मेरे दोस्तों और अज़ीज़ों मैं सबकी बात नहीं करता मगर ZEBNEWS के Massages कापी पेस्ट वाले नहीं होते हैं कि कहीं से Copy कर लिया और कहीं Paste कर दिया और बस बन गए Group Admin,घंटो मेहनत करने के बाद कितनी ही किताबों में सर खपाने के बाद एक पोस्ट तैयार होती है बदले में आपसे सिर्फ इतना चाहता हूं कि plz msg पढ़ा करें क्योंकि मेरे इस काम की जज़ा कोई दे ही नहीं सकता सिवाए मेरे रब के,ये बात कहने की ज़रूरत इसलिए पड़ी कि मैं देखता हूं कि अक्सर मेरे ग्रुप के ही कुछ लोग बहुत से ऐसे सवाल पूछते हैं जिसका जवाब मैं पोस्ट के ज़रिये या सवाल जवाब में दे चुका होता हूं,मतलब साफ है कि 24 घंटे में एक msg भेजने पर भी कुछ लोग उसे नहीं पढ़ते हैं क्योंकि अगर पढ़ते तो वही सवाल मुझसे नहीं पूछते,फिर जब मैं इस पर कुछ कहता हूं तो लोग बुरा मानते हैं,तो दोस्तों अगर वाक़ई इल्म हासिल करना चाहते हैं तो msg पढ़ें और कोशिश करें उस पर अमल करने की,और अगर एक msg भी नहीं पढ़ा जाता तो फिर ग्रुप में रहने की ज़रूरत ही क्या है,ZEBNEWS को सोशल मीडिया पर चलने वाला सिर्फ एक msg ग्रुप ना समझें बल्कि इसे मैं एक मदरसे की तरह चला रहा हूं और मेरी बस यही एक तमन्ना है कि अपने मरने से पहले किसी एक की इस्लाह कर जाऊं,ग्रुप में मैंने काफी सख्ती कर रखी है किसी को कुछ बोलने की इजाज़त नहीं है ये सब सिर्फ आप लोगों की भलाई के लिए ही है वरना फिर इसमें और बाकी ग्रुप्स में क्या फर्क रह जायेगा,लिहाज़ा मेरी सख्ती को और कभी कभी मेरी सख्त कलामी को नज़र अंदाज़ कर दिया करें

*जज़ाक अल्लाहो रब्बिल आलमीन*

जारी रहेगा...........

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किताबे: बरकाते शरीअत, बरकाते सुन्नते रसूल, माहे रामज़ान कैसें गुज़ारे, अन्य किताब लेखक: मौलाना शाकिर अली नूरी अमीर SDI हिन्दी टाइपिंग: युसूफ नूरी(पालेज गुजरात) & ऑनलाईन पोस्टिंग: मोहसिन नूरी मन्सुरी (सटाणा महाराष्ट्र) अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल करने की तौफ़ीक़ अता करे आमीन. http://sditeam.blogspot.in